राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में चार प्रखंड में कम हो रही जांच।

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  • राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ने कहा जांच में तेजी लाएँ, हर दिन 80 बच्चों की करें स्क्रीनिंग
  • आरबीएसके में 45 प्रकार की बीमारियों का होता है इलाज, बच्चों को मिलता है हेल्थ कार्ड

मधुबनी

राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम का उद्देश्‍य 0 से 18 वर्ष के बच्‍चों में चार प्रकार की परेशानियों की जांच और इलाज करना है। इन परेशानियों में जन्‍म के समय किसी प्रकार के विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रूकावट की जांच शामिल है। कार्यक्रम के अंतर्गत चलंत चिकित्सा दलों के माध्यम से जिले के सभी प्रखंडों के आंगनबाड़ी केंद्रों तथा सरकारी एवं सरकारी मान्यता प्राप्त विद्यालय में बच्चों की स्वास्थ्य जांच व स्क्रीनिंग की जाती है।

प्रखंडों में गठित चलंत चिकित्सा दलों के कार्यों के राज्य स्तरीय बैठक में समीक्षा के दौरान प्रतीत हुआ कि जिले के चार प्रखंड जयनगर, घोघरडीहा लदनियाँ एवं लौकही में प्रतिदिन 40 से कम बच्चों की स्क्रीनिंग की जा रही है। जांच में तेजी लाने को लेकर आरबीएसके के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. विजय प्रकाश राय ने जिले के सिविल सर्जन डॉक्टर नरेश कुमार भीमसरिया को पत्र जारी कर उक्त प्रखंडों में प्रतिदिन कम से कम 80 बच्चों की स्क्रीनिंग करने का निर्देश दिया है।

बच्चों का ऐसे होता है इलाज :

सिविल सर्जन डॉक्टर नरेश कुमार भीमसारिया ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए गठित मोबाइल मेडिकल टीम जिले के हर आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में पहुंचती है। टीम में शामिल आयुष चिकित्सक बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं। ऐसे में जब सर्दी- खांसी व जाड़ा–बुखार जैसी सामान्य बीमारी होगी, तब तुरंत बच्चों को दवा दी जाती है, लेकिन बीमारी गंभीर होगी तब उसे आवश्यक जांच एवं समुचित इलाज के लिए निकटतम पीएचसी में भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी ऊंचाई(हाइट), सिर की परिधि, बांह की मोटाई की नापतौल करेंगी। फार्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों से संबंधित बातों को ऑन द स्पॉट क्रमवार अंकित करते हैं।

45 प्रकार की बीमारियों का समुचित इलाज :

आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. दीपक कुमार गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 0 से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों में 45 तरह की बीमारियों की जांच कर उसका समुचित इलाज किया जाता है। इन सभी बीमारियों को चार मूल श्रेणियों में बांटकर इसे 4डी का नाम दिया गया है। इसके तहत जिन बीमारियों का इलाज होता है। उनमें दांत सड़ना,हकलापन,बहरापन, किसी अंग में सून्नापन,गूंगापन, मध्यकर्णशोथ,आमवाती हृदयरोग, प्रतिक्रियाशील हवा से होने वाली बीमारियां,दंत क्षय,ऐंठन विकार,न्यूरल ट्यूब की खराबी,डाउनसिंड्रोम,फटे होठ एवं तालू/सिर्फ़ फटा तालू,मुद्गरपाद(अंदर की ओर मुड़ी हुई पैर की अंगुलियां), असामान्य आकार का कूल्हा,जन्मजात मोतियाबिंद,जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदयरोग,असामयिक दृष्टिपटल विकार आदि शामिल हैं।

बच्चों को दिया जाता है हेल्थ कार्ड :

आरबीएसके कार्यक्रम में 0 शून्य से 18 (अठारह) वर्ष तक के सभी बच्चों की बीमारियों का समुचित इलाज किया जाता है। 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी केंद्रों में होती है। जबकि 6 से 18 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग उनके स्कूलों में जाकर की जाती है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर साल में दो बार यानी प्रति छः महीने पर जबकि स्कूलों में साल में सिर्फ एक बार बच्चों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग की जाती है। स्क्रीनिंग करते वक्त बच्चों को हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है।

  • Sudhansu Kumar

    सुधांशू कुमार ( बिहार ब्यूरो ) शंखनाद टाइम्स। खबरों से समझौता नहीं।बिहार में हो रहे जातिवाद राजनीतिक से मैं खफा हूँ। समाज मे फैली हुई जाति वादी रूपी ज़हर को जड़ से दूर करने की मानसिकता के साथ,अपने लक्ष्य को अटल मानकर मैं पत्रकारिता में शामिल हुआ हूँ। जय बिहार,भारत माता की जय,जय सियाराम🙏। " सही लोग " " सही सोच " " समाज की आवाज़ " ✍️ खबरों से समझौता नही ✍️ 🇮🇳🚩

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