क्या सरकारी स्कूल बिक सकता हैं? मोतिहारी में एक नहीं दो-दो सरकारी स्कूल की जमीनभवन सहित बिक गयी है.।

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क्या कोई सरकारी स्कूल बिक सकता है? आप कहेंगे नहीं. लेकिन, मोतिहारी में एक नहीं दो-दो सरकारी स्कूल की जमीन भवन सहित बिक गयी है. दरअसल बिहार में जमीन सर्वे के बीच भू माफियाओं के बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है.

मिली जानकारी के अनुसार मोतिहारी के ढाका प्रखंड के उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पचपकड़ी और उत्क्रमित मध्य विद्यालय फुलवरिया की स्कूल जमीन सहित बिक गई है. हद तो यह भी है कि ढाका के तत्कालीन सीओ ने इसमें से फुलवरिया वाले स्कूल की दाखिल खारिज क्रेता के नाम पर कायम कर दिया है.

इस मामले को ढाका के विधायक पवन जायसवाल ने विधानसभा में भी उठाया था. मामला सामने आने के बाद विभागीय मंत्री ने एक माह के अंदर संबंधित सभी कर्मियों पर कारवाई का भरोसा विधानसभा में दिया है. पूरे मामले का दिलचस्प पहलू यह भी है कि जमीन के दाखिल खारिज के दौरान स्कूल के भवन बने जमीन को भी वर्ष 2021 में राजस्व कर्मचारी ने क्रेता के दखल कब्जा में बताया है. फुलवरिया की पूरी जमीन करीब 41 डिसिमिल है, जिसमें से कुछ डिसिमिल पर स्कूल है. लेकिन, जब जमीन के मालिक ने अपनी पत्नी के नाम वर्ष 2019 में जमीन की रजिस्ट्री की तो पूरी रकवा की ही रजिस्ट्री करा दी. अब दाखिल खारिज भी हो गया है.

विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद बनी जांच कमिटी

वहीं विधानसभा में मामला उठने के बाद एक जांच कमेटी बनाई गई. मोतिहारी एडीएम मुकेश कुमार सिन्हा के नेतृत्व में यह जांच हुई जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि ढाका के फुलवरिया उत्क्रमित मध्य विद्यालय के जमीन को भूमाफियाओं ने अधिकारियों की मिली भगत से बेच दी. वहीं सीओ और कर्मचारियों ने इसका म्यूटेशन तक कर दिया. इसलिए संबंधित पदाधिकारी और कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई के लिए विभाग को लिखा गया है.

क्या अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा कांड!

ऐसी स्थिति में यह बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या पूर्वी चंपारण में भू-माफियाओं के साथ अधिकारियों की मिली भगत है. इस मिली भगत में सरकारी स्कूल को भी नहीं बक्शा गया है तो आम आदमी कौन कहे लगातार आम आदमी भी प्रखंड और अंचल के कार्यालय का चक्कर लगाते हैं उनका जमीन का म्यूटेशन तक नहीं होता है. लेकिन, सरकारी जमीन बेचकर उसका म्यूटेशन कर देना एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर सुशासन की सरकार में वैसे पदाधिकारी और अधिकारी कब तक बचते रहेंगे.

गोपालगंज में बस स्टैंड की जमीन पर करा ली थी जमाबंदी

बता दें, बीते दिनों बिहार के गोपालगंज जिले से भी जमीन फर्जीवाड़े के बड़े मामले का खुलासा हुआ था. दरअसल गोपालगंज के राजेंद्र बस स्टैंड की 85 कट्ठा जमीन को भू-माफिया ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए अपने नाम पर जमाबंदी करा ली थी. इस मामले का खुलासा होने के बाद बड़ी कार्रवाई की गयी थी. यह घोटाला तब सामने आया था जब भू-माफियाओं ने सदर अंचल से सेटिंग कर मोटी रकम खर्च कर यह खेल किया. यह बस अड्डा पटना, मुजफ्फरपुर, गोरखपुर, मोतिहारी, बेतिया, सीवान, बनारस जैसे प्रमुख शहरों के लिए बसों की सेवाएं प्रदान करता है.

दरअसल हाल ही बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने सदन की कार्यवाही के दौरान कहा था कि बिहार में जमीन से जुड़े कार्यों में गड़बड़ी करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को छोड़ा नहीं जाएगा. मंत्री ने कहा था कि जमीन से जुड़े कार्यों में गलत काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. मंत्री दिलीप जायसवाल ने यहां तक कह दिया था कि अधिकारी खुद सुधार जाएं नहीं तो हम सुधार देंगे. वहीं मंत्री के बयान के बाद अब कार्रवाई का दौर शुरू हो गया.

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