राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा आयोजित कम्युनिटी हेल्थऑफिसर (CHO) परीक्षा । प्रश्नपत्र लीक होने के कारण रद्द कर दिया गया।

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राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा आयोजित कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (CHO) परीक्षा, जिसमें 4,500 पदों पर भर्ती होनी थी, को प्रश्नपत्र लीक होने के कारण रद्द कर दिया गया। इस मामले में कई संगठित गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है, जिसमें परीक्षा माफिया, परीक्षा केंद्रों और एक निजी कंपनी की मिलीभगत सामने आई है।

प्रश्नपत्र लीक: EOU (आर्थिक अपराध इकाई) ने परीक्षा के दौरान सेटिंग और प्रश्नपत्र लीक के पुख्ता सबूत मिलने के बाद कार्रवाई की।

छापेमारी: पटना, नालंदा, मुजफ्फरपुर, गया, और बिहारशरीफ में छापेमारी चल रही है। बड़े परीक्षा माफिया रवि भूषण और उनके सहयोगी अतुल प्रभाकर की तलाश जारी है। प्रत्येक अभ्यर्थी से 5 लाख रुपये में सौदा तय हुआ था। टोकन मनी के रूप में 25,000-50,000 रुपये परीक्षा से पहले लिए गए। शेष रकम परीक्षा के बाद वसूलने की योजना थी।

परीक्षा केंद्र वी शाइन टेक प्राइवेट लिमिटेड ने माफियाओं से 8 लाख रुपये प्रति केंद्र में डील की थी। लगभग 60% सीट (2,700 सीटें) पहले से सेट कर दी गई थीं। प्रॉक्सी सर्वर और एमी एडमिन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सॉल्वर्स ने दूर बैठकर प्रश्न हल किए।

अभ्यर्थी केवल कंप्यूटर के सामने माउस चलाते रहे। परीक्षा केंद्रों पर कस्टमाइज CPU लगाए गए, जिन्हें प्रॉक्सी सर्वर के जरिए रिमोट पर नियंत्रित किया गया। गड़बड़ी की संभावना होने पर सेट अभ्यर्थियों को बफर सीट्स पर बैठाया जाता था।

माफियाओं ने परीक्षा के जरिए लगभग 2,000 फर्जी भर्तियां कराने की योजना बनाई थी। इस घोटाले से लगभग 100 करोड़ रुपये कमाने का टारगेट था। मामले में अब तक 37 संदिग्धों से पूछताछ, जिसमें 10 अभ्यर्थी और अन्य परीक्षा केंद्र से जुड़े लोग शामिल हैं।

कई अभ्यर्थियों के परिजनों ने माफियाओं से हुए सौदों की जानकारी दी। कैश लेन-देन और ओरिजिनल दस्तावेज जमा करने की मामले में पटना के 6 परीक्षा केंद्रों पर छापेमारी के दौरान गड़बड़ी पकड़ी गई। सॉल्वर्स ने दूर बैठकर रिमोट एक्सेस के जरिए प्रश्नों को हल किया। सेंटर पर बैठे अभ्यर्थी केवल माउस चलाते पाए गए। घोटाले की बड़ी बात ये है कि प्रत्येक केंद्र से 4 लाख रुपये लिए गए। 12 केंद्रों का चयन किया गया था।

सॉल्वर के माध्यम से ऑनलाइन परीक्षा में हेरफेर किया गया। इसमें परीक्षा केंद्र, निजी कंपनी, और माफिया एक साथ मिलकर फर्जीवाड़ा कर रहे थे।

सरकार और जांच एजेंसियों की सतर्कता से यह मामला उजागर हुआ। अब परीक्षा प्रणाली में सुधार और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।

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