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बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) के 4500 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए होने वाली परीक्षा रद्द हो चुकी है. लेकिन इस मामले में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं.
अब तक की जांच नई बात यह पता चली है कि नकल माफियाओं के पास 25 हजार अभ्यर्थियों का डेटा था. उन्होंने यह डेटा परीक्षा कराने वाली एजेंसी से मिलीभगत करके हासिल किया था.
सामुदायिक स्वस्थ्य अधिकारी भर्ती की ऑनलाइन परीक्षा में धांधली की जांच बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) कर रही है.।
इस इकाई ने 37 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. जिसमें से 36 को जेल भेजा जा चुका है. गिरफ्तार आरोपियों में नौ परीक्षार्थियों के अलावा सेंटर संचालक, आईटी मैनेजर समेत अन्य शामिल हैं.
जेल भेजे गए आरोपी
रवि भूषण, रंजीत कुमार, विशाल, अनुपम मिश्रा, आशीष रंजन, कृष्ण कुमार, गोपाल, हिमांशु, विकास, छोटू सिंह, राहुल राज, तारकेश्वर राय, अमित, आदर्श राज, श्रवण, किशन, विश्वदेव, अंकुर, ऋषि राज, रति भूषण, कुंदन कुमार, गिरीश कुमार, जूली कुमारी, पूजा, अर्चना, अरशु कुमारी, निर्मला कुमारी, ब्रजेश, शुभम, मनीष कुमार, दिलीप, रवि रंजन चौधरी, सौरभ, राहुल और विश्वजीत कुमार
कौन है इस पेपर लीक कांड का मास्टरमाइंड
इस पेपर लीक के मास्टरमाइंड परीक्षा माफिया रवि भूषण और अलुत प्रभाकर बताए जा रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, इन आरोपियों ने फर्जीवाड़े की कहानी अगस्त से ही रचनी शुरू कर दी थी. ।
इन्होंने सेंटर अलॉट होने के बाद से ही एजेंसी के अधिकारियों से मिलीभगत करके धांधली की योजना बना ली थी.
100 करोड़ कमाई की थी योजना
रिपोर्ट के अनुसार, माफियाओं ने परीक्षा केंद्र अलॉट करने के लिए प्रत्येक केंद्र से 4-4 लाख रुपये वसूले थे. उनका टारगेट 45 सौ हेल्थ अफसर की बहाली में फर्जी तरीके से करीब 2 हजार की बहाली कराना था.।
हर अभ्यर्थी से इसके लिए 5-5 लाख रुपए वसूलने की बात सामने आई है. पूरे खेल से ये माफिया 100 करोड़ रुपए कमाने वाले थे.