बिहार के इन 34 सड़क परियोजनाओं पर गडकरी क्यों नहीं लगा रहे मुहर?

Share this

बिहार में सड़कों के जाल को मजबूत करने और परिवहन व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए शुरू की गई कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं केंद्र सरकार की मंजूरी के अभाव में लटक गई हैं। राज्य सरकार द्वारा भेजे गए लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावों को केंद्र सरकार अभी तक मंजूर नहीं कर पाई है।

इन परियोजनाओं में चार प्रमुख एक्सप्रेसवे और कई राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं। इनमें से कई परियोजनाएं राज्य के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। गोरखपुर-सिल्लीगुड़ी, रक्सौल-हल्दिया, पटना-पूर्णिया और बक्सर-भागलपुर जैसे बड़े एक्सप्रेसवे भी इसी समस्या का सामना कर रहे हैं।

केंद्र सरकार से अंतिम मंजूरी मिलने में देरी के कारण ये परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं। राज्य सरकार लगातार केंद्र सरकार को पत्र लिख रही है और बैठकों में इस मुद्दे को उठा रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। नौ परियोजनाओं को तो केंद्र से सहमति मिल गई है। इसके बावजूद अभी भी एक लाख 21 हजार करोड़ की 34 परियोजनाओं को केंद्र सरकार की स्वीकृति का इंतजार है।

दरअसल, कुल 43 परियोजनाओं में से केवल 9 को ही मंजूरी मिल पाई है। बाकी 34 परियोजनाएं अभी भी मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। इन परियोजनाओं की कुल लंबाई लगभग 3000 किलोमीटर है। केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी मिलने में देरी के कारण बिहार में सड़क निर्माण का काम धीमा चल रहा है। इससे राज्य के विकास पर असर पड़ रहा है और परिवहन व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।

राज्य सरकार लगातार केंद्र सरकार से इन परियोजनाओं को मंजूरी देने का आग्रह कर रही है। विभागीय मंत्री और सचिव के स्तर पर भी केंद्र सरकार के साथ होने वाली बैठकों में इन परियोजनाओं की मंजूरी का मामला उठाया जा रहा है। राज्य की अहम लंबित परियोजनाओं में गोरखपुर-सिल्लीगुड़ी एक्सप्रेस-वे है जिसकी लंबाई 416 किलोमीटर है। इस पर 23 हजार करोड़ से अधिक खर्च होने हैं। इसी तरह 365 किलोमीटर लंबी रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे है जिस पर 15 हजार करोड़ खर्च होने हैं। 260 किलोमीटर लंबी पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे पर 10 हजार करोड़ खर्च होने हैं। जबकि बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेस-वे की लंबाई 300 किलोमीटर है और इस पर 15 हजार करोड़ खर्च होने का अनुमान है।

लंबित अन्य परियोजनाओं में पटना-आरा, आरा-सासाराम, नौबतपुर-हरिहरगंज, दरभंगा-जयनगर, ढाका मोड़-हंसडीहा, बिहटा मोड़-नरहिया, खगड़िया-पूर्णिया, मोकामा-मुंगेर, आमस-दरभंगा को जोड़ने वाला बोधगया और राजगीर स्पर, वैशाली और दरभंगा का स्पर, साहेबगंज-अरेराज, अरेराज-बेतिया, जमुई-झाझा-चकिया-जसीडीह सीमा, वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे का पांचवां पैकेज, बहादुरगंज-किशनगंज, अररिया-परसरमा, रामनगर-कच्ची दरगाह शामिल है। इसी तरह सीतामढ़ी-खरका बसंत, एनएच-104 चार लेन, मनुआ पुल-ठकराहा, राजापट्टी-चकिया, वाल्मीकिनगर का रि-एलाइनमेंट, समस्तीपुर बाईपास, डुमरांवबाईपास, विक्रमशिला पुल का एप्रोच पथ, बहेरी स्पर, बरबीघा-जमुई, जमुई-कटोरिया, बांका-पंजवारा और बलिया स्पर की मंजूरी लंबित है।

  • Related Posts

    भू-सम्पदा (विनियमन एवं विकार) अधिनियम, 2016 के प्रावधान के अनुसार, भू-सम्पदा विनियामक ……

    भू-सम्पदा (विनियमन एवं विकार) अधिनियम, 2016 के प्रावधान के अनुसार, भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) बिहार अपनी स्थापना के बाद से बिहार में जागरूकता सृजन कार्य कर रहा है और अब…

    जमुई के एसपी चंद्र प्रकाश हाल ही में सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए मध्यरात्रि में सड़कों पर निकलते हैं…..

    जमुई के एसपी चंद्र प्रकाश हाल ही में सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए मध्यरात्रि में सड़कों पर निकलते हैं। इसी क्रम में, उन्होंने रविवार रात लगभग…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *