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चुनावी वर्ष में बिहार सरकार ने बुनकरों को बड़ी राहत दी है। राज्य के बुनकरों को अब जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों से वित्तीय मदद मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
पहले बुनकरों को राष्ट्रीयकृत बैंकों से ऋण प्राप्त करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब सहकारिता विभाग ने इन बैंकों को बुनकरों को कार्यशील पूंजी देने का निर्देश दिया है। इससे बुनकरों को अपने कारोबार को बढ़ाने और महाजनी कर्ज से मुक्ति पाने में मदद मिलेगी।
बुनकर समितियों के लिए हुई घोषणा
सहकारिता विभाग ने यह भी घोषणा की कि जिन बुनकर समितियों के उत्पाद गुणवत्तापूर्ण हैं और जो निर्यात के लिए उपयुक्त हैं, उन्हें विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। भागलपुर की सिल्क साड़ी, औरंगाबाद के दरी-कालीन, और कंबल जैसी उत्पादों को राज्य सरकार द्वारा निर्यात के लिए बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, अन्य राज्यों में इन उत्पादों का प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।
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दूसरी तरफ, महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। गया जिले में जीविका द्वारा महिला संवाद कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करना और उनके विकास से जुड़ी आकांक्षाओं को समझना है।
महिलाओं में बढ़ेगी जागरूकता
15 जनवरी से शुरू होने वाला यह कार्यक्रम 24 प्रखंडों के 3166 महिला ग्राम संगठनों के माध्यम से महिलाओं को सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी देगा। यह दोनों पहल राज्य में बुनकरों और महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान देंगी, और राज्य की विकास प्रक्रिया को तेज करेंगी।