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श्रावण मास में जो भगवान शिव की भक्ति भाव से पूजन अर्चना या साधना करता हैं उनका कल्याण निश्चित कल्याण होता हैं।समस्त दु:ख दारिद्रय नष्ट हो सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं।
ईश्वर के सरूप अनेकानेक ज्ञान,क्रिया व भाव में हो सकते हैं लेकिन वो एक ही सत्ता में सार्भौमिक व सर्वमान्य सर्वभूतों के अधिपति भूतनाथ के साथ कालाधिपति महाकाल,महेश्वर औढ़रदानी महादेव है।
श्रावण मास तक अती वृष्टि से जल अशुद्ध हो जाता हैं, प्राकृतिक वातावरण मन बुद्धि व अहंकार स्थिति अनियंत्रित होने लगती हैं उन्हीं की शुद्धिकरण हेतु मनुष्य अपने कल्यार्थ शिवलिङ्ग पर जलााभिषेक करते हैं क्योंकि शिव ईशान व जल के प्रमुख्य देवता हैं।
रुद्राभिषेक से लाभ
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शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है उसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा। रुद्राभिषेक अनेक पदार्थों से किया जाता है और हर पदार्थ से किया गया रुद्राभिषेक अलग फल देने में सक्षम है जो की इस प्रकार से हैं ।
श्लोक
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जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।
घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।
प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।
शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!
सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।
जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।
महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।
अर्थात
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जल से रुद्राभिषेक करने पर — वृष्टि होती है।
कुशा जल से अभिषेक करने पर — रोग, दुःख से छुटकारा मिलती है।
दही से अभिषेक करने पर — पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
गन्ने के रस से अभिषेक करने पर — लक्ष्मी प्राप्ति
मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर — धन वृद्धि के लिए।
तीर्थ जल से अभिषेक करने पर — मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से — बीमारी नष्ट होती है ।
दूध् से अभिषेककरने से — पुत्र प्राप्ति,प्रमेह रोग की शान्ति तथा मनोकामनाएं पूर्ण
गंगाजल से अभिषेक करने से — ज्वर ठीक व कल्याण होता है।
दूध् शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से — सद्बुद्धि प्राप्ति हेतू।
घी से अभिषेक करने से — वंश विस्तार प्रमेह ठीक होती है।
सरसों के तेल से अभिषेक करने से — रोग तथा शत्रु का नाश होता है।
शुद्ध शहद रुद्राभिषेक करने से —- पाप क्षय हेतू।
इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और साधक में शिवत्व रूप सत्यं शिवम सुन्दरम् का उदय हो जाता है उसके बाद शिव कृपा से समृद्धि, धन-धान्य, विद्या और संतान की प्राप्ति।
रुद्राभिषेक कैसे करे
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1 जल से अभिषेक
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👉 हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें।
सर्वप्रथम भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें तत्पश्चात तांबे को छोड़ अन्य किसी भी पात्र विशेषकर चांदी के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें, ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करेत हुए ॐ त्रिलोकीनाथाय नमः मंत्र का जप करें, शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
2 दूध से अभिषेक
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👉 शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें
👉 भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। खासकर तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए।
इससे ये सब मदिरा समान हो जाते हैं। तांबे के पात्र में जल का तो अभिषेक हो सकता है लेकिन तांबे के साथ दूध का संपर्क उसे विष बना देता है इसलिए तांबे के पात्र में दूध का अभिषेक बिल्कुल वर्जित होता है। क्योंकि तांबे के पात्र में दूध अर्पित या उससे भगवान शंकर को अभिषेक कर उन्हें अनजाने में आप विष अर्पित करते हैं।
पात्र में ‘दूध’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ श्री कामधेनवे नम: का जप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम: मंत्र का जप करें, शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
3👉 फलों का रस
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👉 अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें।
भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें, ताम्बे के पात्र में ‘गन्ने का रस’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर फलों का रस की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए -ॐ नीलकंठाय नम: मंत्र का जप करें, शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें
4 सरसों के तेल से अभिषेक
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👉 ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें फिर ताम्बे के पात्र में ‘सरसों का तेल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें ॐ भैरवाय नम: का जप करते हुए पात्र पर मौली बाधें पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए ॐ नाव नाथाय महानाथाय नम: मंत्र का जप करें, शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
5 चने की दाल
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👉 किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें।
भगवान शिव के ‘समाधी स्थित’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें फिर ताम्बे के पात्र में ‘चने की दाल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर चने की दाल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए -ॐ शम्भवाय नम: मंत्र का जप करें, शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
6 काले तिल से अभिषेक
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👉 तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें।
इसके लिये सर्वप्रथम भगवान शिव के ‘नीलवर्ण’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें, ताम्बे के पात्र में ‘काले तिल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ महा कालेश्वराय नम: का जप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर काले तिल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें, अभिषेक करते हुए – ओम काल भैरवाय नमः, ॐ शिवाय नम: का जप करें, शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
7 शहद मिश्रित गंगा जल
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👉 संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से या खीर से अभिषेक करें।
सबसे पहले भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें, ताम्बे के पात्र में ” शहद मिश्रित गंगा जल” भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ चन्द्रमसे नम: का जप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ ओम ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्र: शाम्बसदाशिवाय नमः का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर शहद मिश्रित गंगा जल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें अभिषेक करते हुए -ॐ चन्द्रमौलीश्वराय नमः’ का जप करें शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।
8 घी व शहद
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👉 रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करें।
इसके लिये सर्वप्रथम भगवान शिव के ‘त्रयम्बक’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें, ताम्बे के पात्र में ‘घी व शहद’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें फिर ॐ धन्वन्तर्यै नम: का हजाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” व महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें शिवलिंग पर घी व शहद की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रौं जूं स: त्रयम्बकाय नमः” का जाप करें शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें
9 कुमकुम केसर मिश्रित जल
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👉 आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर के मिश्रण से अभिषेक करें।
सर्वप्रथम भगवान शिव के ‘नीलकंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें चाँदी अथवा स्टील के पात्र में ‘कुमकुम केसर और पंचामृत’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें – ‘ॐ उमायै नम:’ का जप करते हुए पात्र पर मौली बाधें पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें पंचाक्षरी मंत्र पढ़ते हुए पात्र में फूलों की कुछ पंखुडियां दाल दें-‘ॐ नम: शिवाय’ फिर शिवलिंग पर पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें. अभिषेक का मंत्र-ॐ नीलकंठाय नम: शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।
👉उत्तम पत्नी या पति प्राप्ति व परिवारिक कलह दूर शांति स्थापित करने हेतु
शिवलिंग पर दूध,दही व जल से अभिषेक करें
बेलपत्र पर गुलाब पुष्प,रोली,हल्दी व अक्षत सात रखें अर्पित करें।दीप प्रज्जवलित कर
ॐ नमः शिवाय का 108 बार जप करें उनके बाद माता भुवनेश्वरी देवी का ध्यान कर दुर्गा जी के 108 नाम का पाठ करें।
👏🏻🌷ॐ नमः शिवाय 🌷👏🏻
आचार्य पंकज अथर्व
ज्योतिषाचार्य,वास्तु,तंत्र शक्ति योग विशेषज्ञ।।
(B.H.U.Kashi & C.S.U New Delhi)