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केहुसरूपुरफुलवारी_शरीफ: बिहार में कहने को तो सुशाशन की सरकार है। लेकिन सुशाशन की सरकार में कितना सुब्यवस्था है ये चीख-चीख कर फुलवारी शरीफ में करोड़ों के लागत से बना नवनिर्मित हॉस्पिटल बयां कर रहा है। जी हां, आपको बता दूँ कि राजधानी पटना के गोद में करोड़ों के लागत से बना 6 बेडवाला नवनिर्मित हॉस्पिटल की स्थिति बदहाल है।
लेकिन इसपर न तो सरकार की नजर जा रही है, और न किसी जनप्रतिनिधियों को इसकी चिंता है!आपको बता दें की फुलवारी शरीफ के रामपुर-फरीदपुर पंचायत में बना ये अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र पटना एम्स से महज 3 से 4 किमी की दूरी पर है। जहां हॉस्पिटल के अलावे यहां पदस्थापित डॉक्टर और नर्स के लिए भी एक अलग बिल्डिंग बना हुआ है।
यहांपर स्थायी रूप से एक एनएम एवं नर्स की पोस्टिंग है। लेकिन विडंबना तो देखिए कि यहां पदस्थापित सभी स्वास्थ्य कर्मी अपना मूल वेतन नियमित रूप से इसी स्वास्थ्य केंद्र पे सेवा देने के नाम पर लेते हैं, लेकिन स्वास्थ्य केंद्र पर कभी झांकने तक नहीं आते हैं। इस पर जरा सा भी ध्यान किसी स्थानीय जनप्रतिनिधि या चिकित्सा प्रभारी, फुलवारी की नहीं जाती है।
आपको बतादें की 26 जनवरी 2019 को जब सूबे के मूख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पसही में दलितों की बस्ती में झण्डातोलन करने आये थे, तो रामपुर-फरीदपुर पंचायत को करोड़ों की कई सौगात दिया था। जिसमें फरीदपुर से नकटी भवानी(NH-139) तक कालीकरण सड़क का निर्माण, फरीदपुर मध्य विद्यालय को उच्च माध्यमिक विद्यालय में परिवर्तन, मॉडर्न आंगनवाड़ी केंद्र एवं अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण आदि।उन्हीं में से एक था पसही में डेढ़ करोड़ रु. के लागत से बनने वाला अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। जो अब बनकर पूरी तरह से तैयार हो चुका है।
इस स्वास्थ्य केंद्र के बनने से रामपुर-फरीदपुर पंचायत एवं अन्दा पंचायत वासियों में खुशी की लहर थी। कारण इनदोनो पंचायत के दर्जनों गांव-कस्बों से आनेवाले मरीजों को यहां उत्तम चिकित्सा सेवा मिलने की भरपूर उम्मीद थी, लेकिन काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने वर्ष बाद भी ये दोनों अबतक सुचारू रूप से शुरू नहीं हुआ है।यदि सरकार और लोकल जनप्रतिनिधियों का यही रवैया रहा तो निश्चित तौर पे इस नवनिर्मित हॉस्पिटल को खंडहर बनते देर नहीं लगेगा। जैसा कि यहां पर इसके पहले बने स्वास्थ्य केंद्र का हुआ था।