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पटना /प्रसिद्ध यादव।
युवाओं में अभी सेल्फी लेने का गजब का भूत सवार है। सेल्फी का शौक डेंजर जोन में न रखें,क्योंकि बहुत लोगों का यह जीवन के आखिरी तस्वीर बन जाता है।विश्व की उभरती हुई गंभीर समस्याओं में प्रमुख है मोबाइल कैमरे के जरिए सेल्फी लेना।
इन दिनों मोबाइल कैमरे के जरिए सेल्फी यानी अपनी तस्वीर खुद उतारने के शौक के जानलेवा साबित होने की खबरें आए दिन सुनने को मिल रही हैं। नई पीढ़ी इस जाल में बुरी तरह कैद हो गयी है। आज हर कोई रोमांचक, हैरानी में डालने वाली एवं विस्मयकारी सेल्फी लेने के चक्कर में अपनी जान की भी परवाह नहीं कर रहे हैं। कोई जल में छलांग लगाते हुए तो कोई सांप के साथ, कोई शेर, बाघ, चीता के साथ तो कोई हवा में झूलते हुए, कोई आग से खेलते हुए तो कोई मोटरसाईकिल पर करतब दिखाते हुए सेल्फी लेने के लिये अपनी जान गंवा चुके हैं। नालंदा में मालगाड़ी हादसे के बाद दो युवक ट्रेन की बोगी के ऊपर चढ़कर सेल्फी ले रहे थे। तभी अचानक से दोनों हाईटेंशन लाइव वायर की चपेट में आ गए।
इसमें एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई। दूसरा गंभीर रूप से झुलस गया है।कुछ लोग रेलवे पर बिजली के करंट नहीं काटने का दोष मढ़ रहे हैं लेकिन सेल्फी लेने के तरीकों को दोष नहीं मान रहे हैं, जो सरासर गलत है। रेलवे दुर्घटना की स्थिति में हर पहलुओं पर काम कर रही थी लेकिन अब कोई ‘जान के विष संग्रह करै, कहे उमापति काहे न मरै’ की उक्ति चरितार्थ कर दे तो कोई क्या करे?