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पटना /प्रसिद्ध यादव।
अबतक कोरोना से मानव त्रस्त थे,लेकिन अब धीरे धीरे राजनीति को चपेट में ले रही है।किसी काम को करने न करने का मन हो तो कोरोना का रिपोर्ट बनवा ले, फिर देखिए परिणाम।अब तो नेता एक दिन में पॉजिटिव दूसरे दिन निगेटिव हो जाते हैं।बिहार की राजनीति के धुरी में अभी कोरोना ही कोरोना है।बिहार में राजनीति भूचाल आ गया है।
स्पीकर का रोल क्या होता है, बिहार इस बार भी देखेगा।साथ ही राज्यपाल की भूमिका और पारदर्शिता को बिहार देखेगा। महाराष्ट्र प्रकरण भाजपा के लिए गले की हड्डी बन गए तो आरसीपी भूकंप के केंद्र बने हुए हैं। बिहार में उलटफेर को अब कोई नहीं रोक सकता है, चाहे कोई कितना भी कोरोना का खेल खेल ले पब्लिक डोमिन में सबका जांच रिपोर्ट आ गया है।किसी ज़मीर कितनी प्रभावित हुई है और किसको राजनीति जीवन खत्म होने वाले हैं, लोग समझ रहे हैं।
बिहार में 17 -18 साल के सत्ता में भाजपा का कोई नेता न बन पाना गंभीर बीमारी के लक्षण है।फिर हाल भाजपा सत्ता की ऑक्सीजन के लिए लालू दरबार के यहां भी चक्कर काट रही है लेकिन संभवतः बिना ऑक्सीजन के सत्ता के प्राण पखेरू उखड़ जाएंगे।लोग जनता की दुर्गति का श्राप बता रहे हैं।