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बिहार में धान रोपाई का सीजन धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है।
ऐसे में किसानों की चिंताएं बढ़ती ही जा रही है।
आषाढ़ और सावन महीने में वर्षा का नहीं होना बिहार में सुखाड़ के संकेत देने शुरू कर दिए हैं।
बारिश और मौसम का सीजन जून और जुलाई का सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
ऐसी स्थिति में बिहार में मानसून की नाराजगी प्रदेश के लिए काफी चिंता का विषय है।
मौसम विभाग का मानना है कि बिहार में वर्षा के आसार बनते हैं लेकिन लगातार वह टूटता चला जा रहा है। राज्य के एक दो जिला को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी जिले इन दोनों भीषण सुखार की चपेट की ओर अग्रसर होता जा रहा है। बिहार के लगभग आठ जिलों की बात करें तो वर्षा का प्रतिशत 50 प्रतिशत से भी काम आंका गया है, जो राज्य के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। मौसम विभाग का मानना है कि आने वाले 48 घंटे में बिहार में मानसून में कोई खास परिवर्तन होता नहीं दिख रहा है ।
और लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत नहीं मिलने जा रही है।
कई जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है।
मौसम विभाग का मानना है कि बिहार में वर्षा के आसार बनते हैं लेकिन लगातार वह टूटता चला जा रहा है।
राज्य के एक दो जिला को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी जिले इन दोनों भीषण सुखार की चपेट की ओर अग्रसर होता जा रहा है।
बिहार के लगभग आठ जिलों की बात करें तो वर्षा का प्रतिशत 50 प्रतिशत से भी काम आंका गया है, जो राज्य के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
मौसम विभाग का मानना है कि आने वाले 48 घंटे में बिहार में मानसून में कोई खास परिवर्तन होता नहीं दिख रहा है
और लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत नहीं मिलने जा रही है