चिन्हित जगह पर आशा खोजेगी कालाजार मरीज, दिया जा रहा है प्रशिक्षण।

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  • प्रभावित प्रखंड के 1050 आशाओं को दिया जा रहा प्रशिक्षण
  • 420 आरएचपी को भी दिया जाएगा प्रशिक्षण
  • कालाजार मरीज को मिलता है 7100 रूपये प्रोत्साहन राशि

मध

मधुबनी जिले में कालाजार रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा कालाजार उन्मूलन अभियान के तहत जिले के सभी प्रखंडों में आशा कालाजार मरीज की खोज करेगी, इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डी.एस. सिंह ने बताया कालाजार नियंत्रणार्थ सर्विलांस को सशक्त करने के उद्देश्य से जिला के सभी प्रखंडों के कालाजार प्रभावित क्षेत्रों के कुल 1050 आशा कार्यकर्ताओं को 30-30 के बैच में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

प्रशिक्षण में कालाजार के लक्षण, संभावित पीकेडीएल की पहचान, जांच, उपचार, बचाव हेतु घर-घर कालाजार नियंत्रणार्थ कीटनाशक दवा का छिड़काव आदि के बारे मे विस्तार से जानकारी दी जा रही है कि चुकी हमने कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया और हम शून्य कालाजार की ओर बढ़ रहे हैं।

ऐसे मे हमारे ऊपर और भी जवाबदेही है कि कोई भी व्यक्ति, जिसे दस दिन से अधिक समय से बुखार है, उस पर नजर रखी जाए और अगर सामान्य उपचार (एंटीबायोटिक या मलेरिया रोधी दवाओं) से बुखार ठीक नहीं हो रहा, तो शीघ्र उनकी कालाजार की जांच कराई जाए और धनात्मक रिपोर्ट आने पर शीघ्र “एकल खुराक एम्बीजोम” से इलाज कराई जानी चाहिए।

जिन मरीजों का 2 वर्ष पहले या अगर पहले भी कालाजार का इलाज हुआ है वैसे मरीजों में पीकेडीएल के पहचान के बारे में भी बताया गया। कालाजार के अलावे डेंगू/चिकनगुनिया,मलेरिया,फाइलेरिया तथा मस्तिष्क ज्वर के बारे भी जानकारी दी जा रही है।

उन्होंने बताया जिले के सभी प्रखंडों के 420 आरएचपी को भी प्रशिक्षित किया जाएगा। आरएचपी के द्वारा अगर कालाजार रोगी को चिन्हित किया जाता है, तो उन्हें ₹500 प्रति मरीज प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।

सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता :

वेक्टर नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डी.एस. सिंह ने बताया कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं।

बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं।

यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।

कालाजार के लक्षण :

– लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना।
– वजन में लगातार कमी होना।
– दुर्बलता।
– मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।
– व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।
– प्लीहा में नुकसान होता है।

  • Sudhansu Kumar

    सुधांशू कुमार ( बिहार ब्यूरो ) शंखनाद टाइम्स। खबरों से समझौता नहीं।बिहार में हो रहे जातिवाद राजनीतिक से मैं खफा हूँ। समाज मे फैली हुई जाति वादी रूपी ज़हर को जड़ से दूर करने की मानसिकता के साथ,अपने लक्ष्य को अटल मानकर मैं पत्रकारिता में शामिल हुआ हूँ। जय बिहार,भारत माता की जय,जय सियाराम🙏। " सही लोग " " सही सोच " " समाज की आवाज़ " ✍️ खबरों से समझौता नही ✍️ 🇮🇳🚩

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