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स्वच्छता को अपने आचार- विचार एवं व्यवहार में अपनाकर स्वयंसेवक बन सकते हैं सच्चे समाजसेवक :- प्रो जीवानंद
हमें मन, वचन एवं कर्म से अपने दिनचर्या में स्वच्छता को शामिल करने से ही भारत बनेगा खुशहाल एवं विकसित राष्ट्र :- डॉ चौरसिया
मधुबनी जिले के राजनगर के विश्वेश्वर सिंह जनता महाविद्यालय की एनएसएस इकाई की ओर से गत 17 सितंबर से चल रहे स्वच्छता पखवाड़ा कार्यक्रम की श्रृंखला “स्वच्छता ही सेवा- 2024” के अंतर्गत ‘स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता’ थीम पर आयोजित कार्यक्रम का समापन ऑनलाइन मोड में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक डॉ रवीन्द्र नारायण चौरसिया ने अपने वक्तव्य में स्वच्छता के महत्व को अनेक प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से समझाते हुए अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं व्यावहारिक व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि सफाई करने वाला कोई भी व्यक्ति अपने गुण कर्म से महान् होता है।
जिस गांव, शहर, राज्य, देश में स्वच्छता को दिनचर्या का अंग बना लिया जाता है, वहां के लोगों का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। स्वछता मानसिक, वाचिक, कायिक और परिवेश के स्तर पर अपना लेने से सतत उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। स्वच्छता के अभाव में हम पूर्णरूपेण सभ्य एवं शिक्षित नहीं कहे जा सकते हैं, न ही भारत स्वस्थ्य एवं समृद्ध देश बन सकता है। वहीं स्वच्छता को पूर्णतया अपनाने से ही भारत बनेगा खुशहाली एवं विकसित राष्ट्र।
समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो जीवानंद झा ने अपने वक्तव्य में कहा कि स्वच्छता को आज अपने आचार- विचार एवं व्यवहार में उतारने की आवश्यकता है। सफाई करने और गंदगी न फैलाने के लिए हर व्यक्ति को प्रतिबद्ध होने की आवश्यकता है। स्वच्छता को हमें वैयक्तिक स्तर से आरंभ कर राष्ट्रीय स्तर तक ले जाना चाहिए। स्वच्छता को अभ्यास में लाकर ही स्वयंसेवक सच्चे समाज- सेवक बन सकते हैं। स्वयंसेविका स्नेहा कुमारी ने भी “स्वच्छता ही सेवा” विषय पर अपनी बात रखी। एनएसएस स्वयंसेवकों के साथ ही कॉलेज के प्राध्यापक डॉ राजकुमार राय, विशाल, मनीष कान्त समेत अन्य प्राध्यापक व गैर शैक्षणिक सदस्य भी इस कार्यक्रम में आभासी रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन कॉलेज- एनएसएस की कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ बिभा कुमारी ने किया।