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मधुबनी जिले के कलुआही प्रखंड के राढ़ विराटपुर में शारदीय नवरात्र को लेकर चल रही भक्तमाल कथा के चौथे दिन कथा में संगीतमयी भजनों को सुनकर श्रोता भाव-विभोर हो गए।
श्रीधाम वृंदावन से आए कथावाचक राघव दास शास्त्री जी महराज ने मंदिर प्रागंण में उपस्थित श्रोताओं को कहा कि अगर भक्त घर बैठे भी भाव से भक्तमाल कथा को सुनता है, तो उसको यहां कथा स्थान पर आने जितना फल मिलता है।
गुरुजी ने कहा कि संसार में भगवान को प्राप्त करने के लिए प्रारब्ध और पुरुषार्थ का होना जरूरी है, लेकिन भगवान प्राप्ति के लिए सिर्फ इच्छा ही प्रबल होनी चाहिए। जिस तरह गर्भस्थ शीशु को पुष्ट रखने के लिए मां को प्रसन्न रखना पड़ता है, उसी तरह भगवत प्राप्ति के लिए भक्तों को प्रसन्न रखना पड़ता है।
भगवान अपने भक्तों के अपराधी को कभी भी क्षमा नहीं करते हैं। उन्होने कहा कि भक्तमाल कथा का कलयुग में बहुत महत्व है। जहां दूसरी कथा मोक्ष का ज्ञान देती है, वहीं भक्तमाल कथा कलयुग में भक्ति का संदेश देती है।
वही मंदिर महंत हनुमान दास जी महराज ने बताया कि भक्तमाल कथा रोजाना दोपहर 4 बजे से रात के 8 बजे तक चलती है। कथा का समापन 12 अक्टूबर को होगा। कथा को लेकर स्थानीय उप प्रमुख चंदन प्रकाश यादव और शिक्षक रंजित कुमार ने कहा कि दुर्गा पूजा अवसर पर हर साल श्रीमद भागवत कथा का आयोजन होता था, लेकिन इस बार श्रीभक्तमाल कथा का आयोजन किया गया है। इस तरह के आयोजन से समाज में एकता और धर्म की राह पर चलने की प्रेरणा मिलती है।