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बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक डीपी ओझा का निधन हो गया है. वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे.।
डीजीपी रहते लालू यादव और शहाबुद्दीन के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए डीपी ओझा को जाना जाता है.
यहाँ तक कि डीजीपी रहते हुए ही ओझा ने सार्वजनिक रूप से तब राबड़ी देवी सरकार को लेकर कहा था कि सत्ता लफंगों के हाथों में चली गई है।
. उसके बाद सरकार ने उनको दिसंबर 2003 में पद से हटा दिया था. उस समय उनके सेवानिवृत्त होने में सिर्फ दो महीने का समय शेष बचा था.
इसके पहले डीपी ओझा ने डीजीपी बनते ही बिहार के सबसे बड़े बाहुबली माने जाने वाले और लालू यादव के खासमखास रहे शहाबुद्दीन पर कार्रवाई की थी. ।
सिवान स्थित उनके ठिकानों पर हुई छापेमारी उस समय हुई जब बिहार में सरकार राजद की थी. लेकिन डीपी ओझा ने शहाबुद्दीन नकेल कसने के लिए सबसे बड़ा अभियान चलाया था. यह शहाबुद्दीन के खिलाफ वर्ष 1990 में लालू यादव के बिहार की सत्ता में आने के बाद बिहार पुलिस द्वारा की गई सबसे बड़ी कार्रवाई थी.।
माना जाता है कि डीपी ओझा द्वारा बरती गई उस सख्ती के बाद से ही शहाबुद्दीन का विकट काल भी शुरू हुआ था.
हालाँकि डीजीपी से हटाए जाने के बाद भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में दीर्घकालिक सफल करियर बिताने वाले डीपी ओझा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली थी. उसके बाद उन्होंने सियासत के मैदान में हाथ आजमाया लेकिन सफल नहीं हुए।
. डीपी ओझा ने 2004 में भूमिहार बहुल बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई. उन्हें 6000 से भी कम वोट मिले थे. उस चुनाव में जदयू के ललन सिंह ने बड़ी जीत हासिल की थी और उनके मुकाबले में कांग्रेस की कृष्णा शाही दूसरे नम्बर पर रही थी.।