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बिहार सरकार ने 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी सुधीर पोरिका को बड़ी राहत देते हुए उन्हें अवैध बालू खनन और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में क्लीनचिट दे दी है। सरकार ने उनके खिलाफ चल रही विभागीय जांच को समाप्त कर दिया है और निलंबन अवधि (27 जुलाई 2021 से 16 जुलाई 2023) का पूरा वेतन और भत्ता जारी करने का आदेश दिया है।
सुधीर पोरिका पर आरोप था कि औरंगाबाद जिले के एसपी रहते हुए वे अवैध बालू खनन और भ्रष्टाचार में शामिल थे। आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की रिपोर्ट के बाद उन्हें जुलाई 2021 में सस्पेंड कर दिया गया था और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई थी। सितंबर 2023 में गृह विभाग ने इस कार्यवाही को समाप्त कर दिया। अब नए आदेश के तहत, निलंबन अवधि में उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता और अन्य भत्तों को उनके वेतन में समायोजित कर, उस अवधि को ड्यूटी के हिस्से के रूप में जोड़ा जाएगा।
सुधीर पोरिका फिलहाल विशेष शाखा में एसपी के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें उनकी निलंबन अवधि का पूरा वेतन और अन्य भत्ते दिए जाएंगे। उनकी सेवा को प्रभावित किए बिना निलंबन अवधि को नियमित कर दिया गया है। सुधीर पोरिका 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे अपनी सेवा के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे हैं।
गृह विभाग के संकल्प में स्पष्ट किया गया है कि सुधीर पोरिका को उनकी निलंबन अवधि में हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के रूप में यह लाभ प्रदान किया जाएगा। यह निर्णय प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसमें किसी भी अधिकारी को अनावश्यक दंड से बचाने का प्रावधान है।