क्या बिहार में फिर खेल खेला जायेगा।

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बिहार विधानसभा में बुधवार को सदन की जारी कार्यवाही के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच इशारों, इशारों में कुछ बातें हुई।

हालांकि, उनके बीच इशारों में क्या बात हुई यह कोई समझ नहीं पाया। बाद में तेजस्वी यादव ने सदन के बाहर मीडिया से कहा ‘बूझे वाला बुझता’।

इशारों- इशारों में हुई बातें

बुधवार को प्रश्नोत्तर काल के दौरान नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को इशारा करते हुए उनसे कुछ पूछा।

सदन में उस वक्त गोरेयाकोठी के भाजपा विधायक देवेश कांत के सवाल का जवाब ग्रामीण कार्य मंत्री डा. अशोक चौधरी दे रहे थे।

इस बीच नीतीश कुमार तेजस्वी की ओर देखने लगे और उनसे इशारों में कुछ पूछा। जिसका जवाब तेजस्वी ने भी इशारों में दिया।

कुछ देर बाद सदन के बाहर निकले तेजस्वी यादव ने जब मीडिया ने इशारों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा वे व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री का सम्मान करते हैं।

परंतु राजनीतिक तौर पर उनकी न कोई विचारधारा है न ही कोई नीति। इशारों के बारे में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हमेशा इशारों में कुछ कहते हैं। जिसका जवाब हम भी देते रहते हैं। उन्होंने भोजपुरी में कहा कि बूझे वाला बुझता।

विपक्ष के हंगामे की भेट चढ़ा बिहार विधानसभा का शून्यकाल

बिहार विधानसभा की पहली पाली में बुधवार को शून्यकाल विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया। दरअसल, विपक्ष ने 85 प्रतिशत आरक्षण पर चर्चा कराने और वक्फ बोर्ड संबंधी केंद्र सरकार के बिल को वापस लेने समेत कई मुद्दों को लेकर कार्य स्थगन प्रस्ताव दिया था, जिसे अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने यह कहते हुए नामंजूर कर दियाकि सदन में सरकार के महत्वपूर्ण विधायी कार्य कराने का समय तय है।

इससे नाराज विपक्ष ने शून्यकाल में वेल में आकर जमकर हंगामा किया। इसके चलते शून्यकाल नहीं हो पाया और अध्यक्ष ने दोपहर बारह बजकर दस मिनट पर सदन की कार्यवाही दो बजे दिन तक के लिए स्थगित कर दी।

यह हंगामा सात मिनट तक रहा था। इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होते ही उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने आसन से अनुरोध किया कि केंद्र सरकार द्वारा भारत का संविधान को संस्कृत और मैथिली भाषा में भी उपलब्ध कराया गया।

इस ऐतिहासिक कार्य के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को यह सदन को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए।

इस अनुरोध को अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने स्वीकार करते हुए सदन में मौजूद सभी सदस्यों से कहा कि भारत का संविधान को संस्कृत और मैथिली भाषा में भी उपलब्ध कराने के लिए हमलोग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को धन्यवाद दे सकते हैं।

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