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बिहार के पांच जिलों में किसानों के लिए पहचान-पत्र (आईडी कार्ड) बनाने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है।
इस योजना के तहत राज्य के हर किसान का रजिस्ट्रेशन होगा और उन्हें आईडी कार्ड जारी किया जाएगा।
कृषि योजनाओं का लाभ अब इसी पहचान-पत्र के माध्यम से सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजा जाएगा।
चयनित जिले और गांव:
पायलट प्रोजेक्ट के लिए जिन जिलों का चयन हुआ है उसमें
भागलपुर: पीरपैंती के बाबूपुर और बारा।
गया: बेल्हरिया और बेलवाकरहरा।
पूर्णिया: बरहिया, धनघटा, और बोहरा।
पूर्वी चंपारण: बरियारपुर और बंकट।
सारण: बकरपुर और भरपुरा।
फार्मर रजिस्ट्री एप के माध्यम से किसानों का निबंधन किया जा रहा है। इसके लिए आधार कार्ड। आधार से लिंक मोबाइल नंबर।
खतौनी (भूमि स्वामित्व का दस्तावेज) जरूरी है।
किसान सम्मान निधि योजना समेत अन्य कृषि योजनाओं का लाभ अब किसान आईडी कार्ड के माध्यम से मिलेगा।
किसानों के बैंक खातों में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए धनराशि भेजी जाएगी। किसान सम्मान निधि योजना से जुड़ी जानकारी
किसानों की आय सुनिश्चित करना।हर साल ₹6,000 की वित्तीय सहायता। चार महीने के अंतराल पर ₹2,000 की तीन किस्तों में भुगतान।
पति-पत्नी द्वारा दोहरे लाभ लेने के मामलों की पहचान।राज्य के 4 लाख किसानों के खातों को बंद कर दिया गया है। 35,000 किसानों ने स्वेच्छा से सम्मान निधि राशि वापस की है।
2.78 लाख किसानों का ई-केवाईसी सत्यापन लंबित है। 2.74 लाख किसानों ने डीबीटी पोर्टल से बैंक खाते लिंक नहीं कराए हैं।
आईडी कार्ड से किसानों की पहचान सुनिश्चित होगी। योजनाओं का लाभ बिना किसी देरी के सीधे किसानों के खातों में जाएगा।
कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक और प्रक्रियाओं का उपयोग बढ़ेगा।
ई-केवाईसी और खाते लिंकिंग:
लाखों किसानों का ई-केवाईसी और डीबीटी पोर्टल से खाते लिंक करना लंबित है।
साक्षरता और जागरूकता:
ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को डिजिटल प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक करना।