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अहसास कलाकृति, पटना के कलाकारों द्वारा कला मंच नौबतपुर द्वारा आयोजित 5 वाँ मगही नाट्य महोत्सव 2024 में प्रो0 अभिमन्यु प्रसाद मौर्य लिखित एवं कुमार मानव निर्देशित मगही नाटक प्रेम अइसने होवऽ हे का मंचन नौबतपुर के जैतिपुर ग्राम में किया गया।

यह नाटक गांव के एक सुखी सम्पन्न किसान सूरज नारायण सिंह और उनकी पत्नी कमला के बीच अगाढ़ प्रेम को दर्शाता है जो पति-पत्नी के रिश्ते को नई उँचाइयां ही नहीं देता बल्कि समाज में एक मिसाल भी पेश करता है।

इनका पुत्र राजीव, मैट्रिक की परीक्षा में पालीगंज हाई स्कूल में टॉप करता है। सूरज नारायण एवं उनकी पत्नी बहुत खुश होते हैं।
फिर पटना कॉलेज में राजीव का नामांकन होता है और वह पटना पढ़ने चला जाता है। लेकिन एक दिन अचानक कमला को दिल का दौरा पड़ता है और उनकी मृत्यु हो जाती है।
मृत्यु से पूर्व कमला सूरज नारायण को अपनी अंतिम इच्छा व्यक्त करते हुए कहती है कि मेरे बेटे राजीव को कभी कोई दुःख नहीं दीजिएगा। उसे हमेशा खुश रखियेगा।
कमला की मृत्यु के कुछ ही महीनो के बाद सूरजनारायण के मित्र उजारण प्रसाद द्वारा शादी का प्रस्ताव आता है।
सूरजनारायण गुस्सा होते हैं और कहते हैं कि अब बुढ़ापा में बियाह करें ? सूरज नारायण के मना करने के बाद भी उजारन प्रसाद अगुआ लेकर उनके घर आ धमकता है और गरीब की लड़की कह कर सूरज नारायण को लड़की देखने के लिए सहमत कर लेता है। वह लड़की देखने जाते हैं।
इसी बीच राजीव पटना से पालीगंज अपने घर आता है तो नौकर बहारन बताता है कि मालिक लड़की देखने गये हैं।
राजीव को अपने पिता के प्रति नफरत का भाव उत्पन्न होता है। राजीव गुस्से में घर छोड़ने की बात कह कर जाने लगता है। तभी सूरज नारायण आते हैं और राजीव से पूछते हैं कि कहाँ जा रहे हो? राजीव कहता है कि आपको इससे क्या मतलब कि हम कहां जा रहे हैं आपको हमारी क्या चिंता।
अगर चिंता होती तो मुझसे बिना पूछे आप अपने लिए लड़की देखने नहीं जाते। तब सूरज नारायण अपने अंदर छुपे भेद को सार्वजनिक करते हुए कहते हैं कि – हाँ लड़की देखने गए थे।
लड़की बहुत सुशील और सुन्दर है। पढ़ी लिखी भी है। और मन भी बना लिये हैं कि उस लड़की को इस घर में लेकर ही आयेंगे। लेकिन…. अपने लिए नहीं, तुम्हारे लिए बेटा।
इतना सुनते ही घर के नौकर बहारन की आँखे भर आती है और वह कह उठता है ‘‘प्रेम अइसने होवऽ हे”।
प्रेम अइसने होवऽ हे एक आदर्श परिवार की कहानी है जिसके सभी पात्र अपने-अपने आदर्श स्थापित करते नजर आते हैं।
आज समाज में जहां स्वार्थ सर्वोपरि होता जा रहा है ऐसे में यह नाटक लोगों को संदेश देता है कि स्वार्थ से ऊपर उठकर परिवार को बिखरने से बचाना, हमारा दायित्व बनता है।
नाटक में सूरज नारायण की भूमिका में कुमार मानव ने दमदार अभिनय किया, कमला की भूमिका को राधा कुमारी ने जीवंत किया वहीं
बहारन नौकर का अभिनय विजय कुमार चौधरी, राजीव का हिमांशु कुमार , दिलीप का भुनेश्वर कुमार, बसावन का राजकिशोर पासवान, उजारन का पृथ्वीराज पासवान गनौरी चनाजोर गरम वाला का बलराम कुमार, डॉ. रेणुका की भूमिका मानसी कुमारी, अनिल का मयंक कुमार गरीबदास का अमन कुमार रमन रानी की भूमिका रिंकल कुमारी तथा सुरेश का करण कुमार ने निभाया।

मंच से परे कलाकारों में
प्रकाश परिकल्पना मयंक कुमार, मंच परिकल्पना, संतोष कुमार, रूप सज्जा माया कुमारी , संगीत संयोजन मानसी कुमारी/मयंक कुमार तथा वस्त्र विन्यास अनिता शर्मा का था।