क्रिएशन, पटना द्वारा आयोजित तीसरा जननायक नाट्य महोत्सव में आंतोन चेखव लिखित एवं मृत्युंजय प्रसाद निर्देशित हास्य व्यंग्य नाटक द प्रपोजल की प्रस्तुति प्रेमचंद रंगशाला के बाहरी परिसर के मुक्ताकाश मंच पर की गई।

नाटक में भाग लेने वाले कलाकारों में फन्ने खां( इवान लोमोव) का प्रिंस कुमार, लपर झंडूस(चुबुकोव) का हर्ष कुमार तथा गुलाबो(नताल्या)का आयशा कृति ने बखूबी निभाया। पार्श्व ध्वनि मयंक कुमार तथा सेट डिजाइन संतोष कुमार का था।

नाटक को देख दर्शक लोटपोट होते रहे। इसमें दिखाया गया की पति पत्नी का रिश्ता जहाँ मधुर होता है वहीं इसमें खट्टापन भी होता है।
जिसमे प्रेम के साथ आपस मे नोक झोंक लाजमी है। घबराया हुआ फन्ने खां, अपने पड़ोसी लपर झंडूस के घर गुलाबो से शादी का प्रस्ताव लेकर आता है, लेकिन लपर झंडूस को लगता है कि वह पैसे उधार मांगने आया है। फन्ने खां शादी का प्रस्ताव रखने की कोशिश करता है, लेकिन गुलाबो के साथ ज़मीन के एक छोटे से टुकड़े पर उनकी बहस शुरू हो जाती है।

वे भूल जाते हैं कि वे शादी के प्रस्ताव के लिए आए थे, और फन्ने खां को दोनों बाप बेटी मिलकर भगा देते हैं। उसके जाने के बाद गुलाबो को शादी के प्रस्ताव के बारे में पता चलने पर पछतावा होता है और वह फन्ने खां को वापस बुलाती है।
लौटते ही, उनके बीच अपने कुत्तों को लेकर एक और बड़ी बहस छिड़ जाती है, और फन्ने खां बेहोश हो जाता है। जब उसे होश आता है, तो लपर झंडूस उन्हें तुरंत शादी करने के लिए मनाता है। वे सगाई कर लेते हैं, लेकिन जैसे ही खुशी मनाने की बात आती है, वे अपने कुत्तों की श्रेष्ठता पर फिर से बहस करने लगते हैं, जिसे लपर झंडूस एक मजाकिया अंदाज में दोनों को खुशी-खुशी रहने का आशीर्वाद देता है।
