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मुंगेर मे बाल कल्याण समिती (CWC) कि पहल से एक नवजात को अपने परिवार से बिछड़ने से बचाया जा सका, बेटे कि चाह में छठी संतान बच्ची होने पर पिता आर्थिक तंगी की वजह से नवजात बच्ची को बाल कल्याण समिती मुंगेर मे देने के लिए गया था।
केंद्र और राज्य सरकारें बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा लगाती हैं और बेटियों के लिए कई योजनाएं चलाती हैं। लेकिन समाज में अभी भी ऐसी सोच मौजूद है जहां बेटी को बोझ समझा जाता है।
मुंगेर जिले के माधोपुर में रहने वाले संजय कुमार की पत्नी ने छठी संतान के रूप में एक बेटी को जन्म दिया। आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए, संजय अपनी नवजात बेटी को बाल कल्याण समिति को सौंपने के लिए ले गया। बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने उसे समझाया और बांधपत्र भरवाकर बच्ची को उसके पास ही रहने दिया।
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि बेटियों के प्रति समाज में व्याप्त भेदभाव कितना गहरा है। बेटियों को बचाने और पढ़ाने के लिए सरकार की योजनाएं हैं, लेकिन इन योजनाओं का लाभ सही तरीके से लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
लोगों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है। आज बेटियां हर क्षेत्र में सफल हो रही हैं। लेकिन समाज में अभी भी बेटों को अधिक महत्व दिया जाता है।
आज बेटियां हर क्षेत्र में अच्छा कर रही है। यहां तक कि बेटियों बेटों के होते हुए भी अपने माता पिता का अंतिम संस्कार तक कर रही है। साथ ही सरकार के द्वारा भी काफी महत्वपूर्ण योजना चलाया जा रहा की कैसे बेटियों को बचाया जा सके पढ़ाया जा सके। पर इन योजनाओं को भी सही ढंग से धरातल पे नहीं उतारा जा सका है जिससे लोगों इन योजनाओं का लाभ ले बेटियों का परवरिश सही ढंग से कर सके ।