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मकर संक्रांति के दिन पटना के जाने माने वरिष्ठ रंगकर्मी, रंग निर्देशक एवं मूर्तिकार कुमार आजाद का 82 वर्ष की उम्र में हृदयगति रुक जाने से निधन हो गया।
लंबे समय से वो चलने फिरने में असमर्थ थे। नाटक के क्षेत्र में ये हर फन मौला थे।
एक बेहतरीन कलाकार, सेट डिजाइनर,मेकअप मेन,डायरेक्टर,ड्रेस डिजाइनर, नाटक के हर क्षेत्र के उम्दा जानकार थे।
इनके पुत्र कुमार मानव पटना रंगमंच के प्रसिद्ध रंगकर्मी हैं और अपने पिता के रंगमंच के प्रति समर्पण को आगे बढ़ा रहे हैं।
कुमार आजाद ने 1965 में रंगमंच की यात्रा प्रारंभ की और अपने निर्देशन में कोणार्क, मेघनाद, अरावली का शेर, तोहरे पर हमरो गुमान, ये जहर कौन पीए, हाथी के दांत, तख्त का दाग, सोमनाथ का लुटेरा, रामू दादा, अंधेरा, पाड़े जी के पत्रा, जिंदा लाश, चित्रलेखा जैसे प्रसिद्ध नाटकों का मंचन बिहार और देश के अन्य हिस्सों में किया।
ऐसे रंगकर्मी का जाना पटना रंगमंच के लिए अपूर्णीय क्षति है जिसे कभी भरा नहीं जा सकता।