पटना में BPSC द्वारा ली गई डीपीआरओ की परीक्षा मे भारी बवाल,छात्रों ने सवालों को आउट ऑफ सिलेबस पूछे जाने का आरोप लगाकर परीक्षा को रद्द कराने की मांग की।

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राजधानी पटना में BPSC द्वारा ली गई डीपीआरओ की परीक्षा में सोमवार को भारी बवाल हुआ। छात्रों ने सवालों को आउट ऑफ सिलेबस पूछे जाने का आरोप लगाकर परीक्षा को रद्द करने की मांग की है।

परीक्षा 26 से 28 नवंबर तक आयोजित हुई थी।

सोमवार को छात्रों का कहना रहा कि परीक्षा विषय को बदल दिया गया।

पांचवें पत्र के रूप में जनसंपर्क का महत्व और आधुनिक प्रचार माध्यम की परीक्षा ली जानी थी।

इसकी आधिकारिक सूचना बीपीएससी के वेबसाइट पर 22 नवंबर और 23 नवंबर को दी गई थी।

इसे जनसंचार के विषय से बदला गया और उससे संबंधित सिलेबस को अपलोड किया गया था।

छात्रों ने कहा कि पब्लिक रिलेशन एवं न्यू मीडिया के सिलेबस के नाम पर पटना कॉलेज बैचलर ऑफ मास कम्युनिकेशन के पार्ट वन से पार्ट थर्ड तक के सभी पेपर का सिलेबस 22 नवंबर की शाम में बीपीएससी द्वारा साइट पर अपलोड कर दिया गया था।

22 नवंबर को बीपीएससी द्वारा अपलोड किए गए पटना कॉलेज बीएमसी के सभी पेपरों के सिलेबस में पेपर संख्या आठ पर जनसंपर्क का सिलेबस उपलब्ध है।

वहीं पांचवें पत्र जनसंपर्क का महत्व एवं आधुनिक प्रचार माध्यम न्यू मीडिया का सिलेबस बीपीएससी द्वारा अपलोड सिलेबस में नहीं है।

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बीपीएससी द्वारा जारी आदेश के बाद भी जनसंचार विषय के सिलेबस को लेकर ही परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र दिया गया जिसके बाद छात्र उग्र हो गए और इसका विरोध करने लगे।

इसकी सूचना जब पटना कॉलेजिएट केंद्र पर छात्रों ने परीक्षा नियंत्रक एवं मजिस्ट्रेट को दी तो उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।

छात्रों के आवेदन को भी स्वीकार नहीं किया गया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया है।

इसी बीच पुलिस और मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में एक परीक्षार्थी की इसमें कॉपी भी इसमें फट गई।

बता दें कि इसके पहले भी बीपीएससी ने जारी विज्ञापन के अनुरूप परीक्षा का आयोजन नहीं किया था।

14 नवंबर को परीक्षा की तारीख के साथ विज्ञापन में बीपीएससी ने पांचवें पत्र जनसंपर्क का महत्व एवं आधुनिक प्रचार माध्यम की जगह इस पत्र को जनसंचार का बताकर एडमिट कार्ड जारी कर दिया था।

छात्रों ने उस समय भी मेल के माध्यम से अपना पक्ष रखा कि यह बीपीएससी द्वारा जारी विज्ञापन के अनुरूप नहीं है।

इसमें सुधार किया जाना चाहिए और छात्रों को अलग-अलग विषयों के सिलेबस भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए।

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