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आरा:
विश्वमोहन चौधरी”सन्त”की रिर्पोट
आरा: स्थानीय एम पी बाग के श्री प्रभाकर पाण्डेय पुत्र स्व.दिवाकर पांडे ने समस्त आरा वासी के लिए श्री भागवत यज्ञ कथा का आयोजन किया है, जो कि 23 अप्रैल से 1 मई तक चलेगा। 1मई को भंडारा का आयोजन किया गया है। वृंदावन से अनन्त श्री विभूषित जगद्गुरू रामनुजाचार्य स्वामी अनन्ताचार्यजी महाराज
श्रीराधारासबिहारी धाम, पानीघाट
परिक्रमा मार्ग, श्रीधाम वृन्दावन (मथुरा) उ. प्र., के द्वारा सभी दिन कथा वाचन होगा। आरा के अधिकांस महिला तथा पुरुष ने आज कलश यात्रा में भाग लिया। क्या है भागवत कथा आईए जानते हैं…..
जब सौभाग्य का उदय होता है तभी भागवत कथा सुनने मिलती है। भगवान सत्य स्वरूप हैं। चित्त स्वरूप हैं। आनंद स्वरूप हैं। दैहिक, देविक, भौतिक तापों का हरण करने वाले हैं। सूतजी महाराज ने ८८ हजार ऋषियों को नैमीशारण्य में भागवत कथा सुनाई थी। वृंदावन में भक्ति का महत्व है। ज्ञान वैराग्य नहीं है, नारद जी का अवतारों में तीसरा अवतार है। उन्होंने कहा कि भागवत का अर्थ है भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और तारण। प्रेत योनि से मुक्त करने वाली भागवत कथा है। आत्मदेव ब्राह्मण की कोई संतान नहीं थी। निराश ब्राह्मण को एक संत ने फल दिया, कहा पत्नी को खिलाना लाभ होगा। उसने फल स्वयं न खाकर गाय को दे दिया और पति से झूठ बोल दिया। समय पूर्ण होने पर प ि- धुंधली ने अपनी बहन का पुत्र लिया और स्वयं का बताकर नाम धुंधकारी रखा। उसी समय गाय को भी पुत्र हुआ, जिसका नाम गौकर्ण रखा गया। धुंधकारी अत्याचारी, अहंकारी था जबकि गौकर्ण विद्वान था। धुंधकारी से परेशान ब्राह्मण वन गमन कर गए। मां धुंधली ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली। धुंधकारी की वेश्याओं ने निर्मम हत्या कर दी। असमय मौत ने उन्हें प्रेत बना दिया। परिजनों की मुक्ति की आकांक्षा से गौकर्ण ने भागवत सप्ताह यज्ञ कराया। जिससे प्रेत योनि से मुक्ति मिली।