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बिहार मंत्रिमंडल ने लाखों सरकारी कर्मचारियों के करियर को बेहतर बनाने के लिए शुक्रवार को एक फॉर्मूला पेश किया, जो पदोन्नति में आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय की रोक के कारण ठंडे बस्ते में पड़ा था।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में स्वीकृत फॉर्मूले के अनुसार, प्रत्येक संवर्ग में 83 प्रतिशत पदों पर पदोन्नति की जाएगी।
यह पता लगाने के लिए एक अध्ययन किया जाएगा कि कितने लाभार्थी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हैं। कैबिनेट सचिवालय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने निर्णय के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा, “यदि एससी और एसटी का प्रतिशत क्रमशः 16 प्रतिशत और एक प्रतिशत से कम पाया जाता है, तो सरकार निर्णय लेगी कि क्या करने की आवश्यकता है।’
शुरुआत में जिन 17 प्रतिशत पदों को बाहर रखा जाएगा, उनमें से एक प्रतिशत एससी के लिए और शेष एसटी के लिए छोड़ दिए जाएंगे और “इन्हें उच्चतम न्यायालय के अंतिम निर्णय के तहत भरा जाएगा।’ सिद्धार्थ ने कहा कि नया फॉर्मूला पदोन्नति की मौजूदा रोस्टर प्रणाली की जगह लेगा और इससे उनके कर्मचारियों को लाभ होगा, जो निचली रैंक के वेतनमान से संतुष्ट रहते हुए उच्च जिम्मेदारियां निभा रहे हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा, “उदाहरण के लिए, ऐसे कई अधिकारी हैं जो एक अधिशासी अभियंता के कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं, लेकिन अधीक्षण अभियंता के पद पर आसीन हैं और उसके समान वेतन ले रहे हैं। नयी प्रणाली से उन्हें बढ़े हुए पारिश्रमिक सहित पदोन्नति लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी।’
उन्होंने यह भी कहा, “अगर उच्चतम न्यायालय कोई विपरीत आदेश देता है, तो जिन लोगों को नए फॉर्मूले के तहत पदोन्नत किया गया है, उन्हें पदावनति का सामना करना पड़ेगा, लेकिन इस अवधि के दौरान उन्हें जो अतिरिक्त पारिश्रमिक मिला, वह उनसे वसूल नहीं किया जाएगा।”