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मधुबनी जिले के लदनियां प्रखंड के गजहरा गांव स्थित सिद्धेश्वरी लक्ष्मीनाथ संस्कृत महाविद्यालय में विश्वविद्यालय के निर्देश पर दस दिवसीय द्वितीय संस्कृत संभाषण शिविर का शुभारंभ प्रधानाचार्य डॉ. शोभाकांत मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता शिवकुमार सुमन ने की,कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्य ने कहा कि आधुनिक काल में भी संस्कृत की महत्ता महसूसी जा रही है।
संस्कृत पढ़ने से हमारी सभ्यता व संस्कृति समुन्नत होती है। यह भाषा सिर्फ पूजा-पाठ की भाषा नहीं, अपितु इसमें ज्ञान-विज्ञान,नीतिशास्त्र, साहित्य, ज्योतिष व दर्शन का अपार भंडार मौजूद है।
मौके पर प्राध्यापक डाॅ. उदयशंकर झा ने कहा कि संस्कृत जब जनभाषा थी, तब भारत की पहचान सोने की चिड़िया के रूप में थी। संस्कृत भाषा ही नहीं भारतीय संस्कार भी है। इसे सबको पढ़ना चाहिए, यह रोजगार भी देती है। ज्योतिष का प्रयोग व आयुर्वेद संस्कृत की देन है।
इस कार्यक्रम में डॉ. गंगानाथ झा, डाॅ. रवीन्द्र नाथ झा, डॉ. अशोक कुमार, अंशू कुमारी, खुशबू कुमारी, मनीषा कुमारी समेत अन्य प्रबुद्ध लोग शामिल थे।
काॅलेज में इसके साथ-साथ राष्ट्रीय सेवा योजना के अंतर्गत विशेष स्वच्छता अभियान भी चलाया जा रहा है। प्रधानाचार्य ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह स्वच्छता को संस्कार में शामिल करे।