एनटीपीई कार्यक्रम के तहत मासिक समीक्षा बैठक का हुआ आयोजन।

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  • टीबी मुक्त पंचायत का लिया संकल्प
  • प्रति 1000 पापुलेशन पर 30 लोगों का करना है जाँच
  • जनवरी से सितम्बर तक 5532 टीबी के मरीज चिन्हित

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक टीबी जैसी संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। कार्यक्रम को लेकर एएनएम सभागार में मासिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक के दौरान सीडीओ डॉ जी.एम. ठाकुर ने बताया कि सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर से टीबी मरीजों की लगातार पर्यवेक्षण/निगरानी कर रहा है। उन्होंने बताया जिले में जनवरी 2024 से सितम्बर 2024 तक टीबी के 6262 मरीज चिन्हित हुए, जिसमें प्राइवेट में 3963 सरकारी संस्थान में 2299 हुए वहीं अगस्त माह में टीबी के 736 मरीज चिन्हित हुए, जिसमें सरकारी संस्थान में 372, प्राइवेट में 348 व एमडीआर के सोलह मरीजों की पहचान की गई है।

एमडीआर के मरीजों का उपचार नौ माह से दो साल तक चलता है। उन्होंने बताया राज्य के निर्देशानुसार प्रति एक हजार पापुलेशन पर तीस लोगों का टीबी का स्क्रीनिंग करना है। जिले के सोलह प्रखंड में ट्रूनट मशीन से टीबी की जाँच हो रही है। जिले में टीबी मरीज़ों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण यह भी है कि अधिकतर मरीज बीच में ही इलाज एवं नियमित रूप से दवा का सेवन करना छोड़ देते हैं। इसीलिए विभाग द्वारा निक्षय मित्र योजना की शुरूआत की गई है। इस योजना के तहत मरीजों को गोद लिया जाता है, जिसके लिए सरकार और विभाग अपने स्तर से पूरी तरह से प्रयासरत है। लेकिन अब एक दूसरे को जागरूक होने की आवश्यकता है, ताकि टीबी के खिलाफ लड़ाई में आसानी से विजय प्राप्त कर सकते हैं।
बैठक के दौरान उन्होंने बताया सभी एसटीएस,एसटीएलएल को टीबी मुक्त पंचायत अभियान को सफल बनाने के लिए विशेष रणनीति के तहत कार्य करने का निर्देश दिया।

सरकारी अस्पताल में ही कराएं अपने टीबी का इलाज़ : सीडीओ

डीपीसी पंकज कुमार ने बताया कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी इलाज से लेकर जांच तक की व्यवस्था बिल्कुल निःशुल्क है। सबसे ख़ास बात यह है कि दवाओं के साथ टीबी के मरीज को पौष्टिक आहार के लिए प्रतिमाह सहायता राशि भी दी जाती है। इसके बावजूद देखा जा रहा है कि कुछ लोग इलाज कराने के लिए बड़े-बड़े निजी अस्पतालों या फिर बड़े शहर की ओर रुख कर जाते हैं। हालांकि फिर वहां से निराश होकर संबंधित जिले के सरकारी अस्पतालों की शरण में ही आना पड़ता है। आपको जैसे ही टीबी के बारे में पता चलता है, तो सबसे पहले नजदीकी सरकारी अस्पताल जाकर जांच कराएं। जिले में अब टीबी के इलाज के साथ मुकम्मल निगरानी और अनुश्रवण की व्यवस्था की जाती है। सीडीओ डॉ. जी.एम. ठाकुर ने बताया टीबी संक्रमण दर को कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा टीबी नोटिफिकेशन करने की जरूरत होती है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने टीबी नोटिफिकेशन टारगेट को नब्बे प्रतिशत करने का निर्देश जिले को दिया है। डॉ. ठाकुर ने बताया विभाग द्वारा प्रत्येक माह 800 मरीज, (एक वर्ष में कुल 9600) का नोटिफिकेशन करने का लक्ष्य रखा गया है एवं राज्य के निर्देशानुसार 100000 की आबादी पर 3000 टीबी के संदिग्ध मरीजों की जांच की जानी है, जांच बिल्कुल नि:शुल्क है। मालुम हो कि पंचायत प्रतिनिधि अपने पंचायत में आशा के माध्यम से डोर-टू-डोर जाकर संदिग्ध टीबी मरीजों को चिन्हित कर रहे हैं और यह प्रखंडों के सभी पंचायत में किया जा रहा है। जिले में उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों एवं समूहों पर ख़ास ध्यान रखा जा रहा है। अगर किसी पंचायत के गाँव में कोई संदिग्ध व्यक्ति अपना स्पुटम देने से इंकार करता है, तो उक्त पंचायत के मुखिया द्वारा आशा के सहयोग से व्यक्ति को समझकर स्पुटम लिया जाता है। एक प्रखंड के सभी पंचायत के टीबी मुक्त होने से ही टीबी मुक्त प्रखंड का स्वप्न साकार हो सकता है।

  • Sudhansu Kumar

    सुधांशू कुमार ( बिहार ब्यूरो ) शंखनाद टाइम्स। खबरों से समझौता नहीं।बिहार में हो रहे जातिवाद राजनीतिक से मैं खफा हूँ। समाज मे फैली हुई जाति वादी रूपी ज़हर को जड़ से दूर करने की मानसिकता के साथ,अपने लक्ष्य को अटल मानकर मैं पत्रकारिता में शामिल हुआ हूँ। जय बिहार,भारत माता की जय,जय सियाराम🙏। " सही लोग " " सही सोच " " समाज की आवाज़ " ✍️ खबरों से समझौता नही ✍️ 🇮🇳🚩

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