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बिहार में लाखों संदिग्ध राशन कार्डों की जांच का निर्णय आपूर्ति विभाग द्वारा लिया गया है। जांच की शुरुआत पूर्वी चंपारण जिले के मझौलिया प्रखंड में गड़बड़ी उजागर होने के बाद हुई थी, जहां राशन कार्ड धारकों से पूछताछ में कई गड़बड़ियां सामने आईं।
इसके बाद विभाग ने पूरे राज्य में जांच कराने का निर्णय लिया है, ताकि सही लाभार्थियों को राशन दिया जा सके और भ्रष्टाचार या गड़बड़ी की समस्या को रोका जा सके।
आपूर्ति विभाग का मानना है कि राज्य में लाखों राशन कार्डधारी अयोग्य हैं। इनमें कई ऐसे कार्डधारी हैं जो कागज पर तो हैं, लेकिन वास्तविकता में उनका अस्तित्व नहीं है।
इसके अलावा, कुछ राशन कार्ड धारकों की उम्र अत्यधिक है, जैसे 80 से 100 वर्ष के बीच के कार्डधारी, जिनकी उपस्थिति पर संदेह है।
विभाग ने यह भी पाया कि एक और दो यूनिट वाले राशन कार्ड, जिनमें संदिग्ध लाभार्थी हो सकते हैं, उन पर भी शक किया गया है।
राज्य में कुल 1,90,182 (एएवाई) और 18,10,668 (पीएचएच) राशन कार्ड अयोग्य पाए गए हैं, साथ ही 2,49,323 कार्डधारी 80-90 वर्ष की आयु के हैं, ।
जबकि 31,890 कार्डधारी 91-100 वर्ष के हैं। इसके अतिरिक्त, 39,725 कार्डधारी की आयु 100 वर्ष से अधिक है, जो शक के दायरे में आते हैं।
इस संदर्भ में सभी जिलों के डीएम को जांच रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं, और आपूर्ति विभाग ने अपात्र लाभार्थियों के कार्ड रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
यह जांच और कार्रवाई राज्य भर में पारदर्शिता और वास्तविक लाभार्थियों तक उचित राशन पहुंचाने के उद्देश्य से की जा रही है।