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श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत व सनातन दल के संरक्षक डॉ. कुलपति तिवारी ने कहा कि काशी के मंदिरों में साईं की मूर्ति नहीं होनी चाहिए। मंदिर के महंत और सेवईतों से अनुरोध है कि मंदिर परिसर से साईं की मूर्ति को स्वयं ससम्मान बाहर कर दें।
सनातन धर्म के वैदिक विधान इसकी आज्ञा बिल्कुल नहीं देते हैं। सोमवार को साईं की मूर्ति को मंदिर से ससम्मान बाहर करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर बैठक के दौरान डॉ. तिवारी ने कहा कि आस्थावान सनातनधर्मियों को उनके मूल से अलग करने के लिए साजिशकर्ताओं ने चांद मियां को साईं बाबा बनाकर प्रचारित-प्रसारित किया। किसी भी देवालय में मृत मनुष्यों की मूर्ति स्थापित करके उसकी पूजा नहीं करनी चाहिए। हिंदू धर्म में पंच देव सूर्य, विष्णु, शिव, शक्ति एवं गणपति के अलावा उनके स्वरूपों का ही विग्रह बनाया जा सकता है। मनुष्य के रूप में अपने गुरु या माता-पिता की पूजा ही कर सकते हैं, किंतु वह भी व्यक्तिगत होती है। ऐसे में मंदिरों में से जितनी जल्दी हो साईं की मूर्ति बाहर निकाल दें। इस प्रस्ताव का समर्थन केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष एवं सनातन रक्षक दल के प्रदेश प्रभारी अजय शर्मा, पं. वाचस्पति तिवारी, हिमांशु राज, अभिषेक मिश्र, भानु मिश्र, महेश उपाध्याय सहित कई मंदिरों के महंतों ने किया।
हिंदू मंदिरों में साईं की मूर्ति अधार्मिक
अखिल भारतीय संत समाज के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि जिसकी जिसमें आस्था व श्रद्धा है, वह उसकी पूजा करे। कोई अपना साईं का मंदिर बनाकर पूजा करना चाहे तो करे लेकिन चुपके से हिंदू मंदिरों में साईं की मूर्ति अधार्मिक और अमान्य भी है। संत समाज इसका समर्थन नहीं करता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी की आस्था व श्रद्धा पर कुठाराघात करें।