सदगति नाटक के मंचन में रत्न अवार्ड, डिसेबल स्पोर्ट्स एण्ड वेलफेयर एकेडमी,पटना और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से हुआ आयोजन !

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सदगति नाटक के मंचन में रत्न अवार्ड । डिसेबल स्पोर्ट्स एण्ड वेलफेयर एकेडमी,पटना द्वारा और संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार के सौजन्य से कुमार मानव एवं सुमन कुमार के निर्देशन में मुंशी प्रेमचंद की कहानी सदगति का नाट्य मंचन कालिदास रंगालय सभागार में किया गया,जिसका नाट्य रूपांतरण ब्रह्मानंद पांडेय ने किया था। कार्यक्रम की शुरुआत उद्घाटन कर्ता अभिषेक रंजन कुमार, महासचिव, बिहार आर्ट थियेटर मुख्य अतिथिडा.शैलेन्द्र पाण्डे ,चिकित्सक एवं समाजसेवी तथा विशिष्ट अतिथि प्रमोद कुमार सिंह ,अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायाल ,मनीष महिवाल ,वरिष्ठ रंगकर्मी औरविश्वमोहन चौधरी संत,कला सास्कृतिक पुरुष व वरिष्ठ पत्रकार संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। साथ ही संस्था के अतिथियों के द्वारा शिक्षा रत्न से डा. राजेश कुमार , साहित्य रत्न से ब्रह्मानंद पांडेय तथा कला रत्न से भुनेश्वर कुमार को सम्मान स्वरूप प्रतीक चिन्ह,अंगवस्त्रम और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। नाटक में छुआछूत, गरीबों से बेगारी कराना तथा उनके साथ उचित व्यवहार न करते हुए अन्याय करना जैसे मुद्दों को दर्शाया गया। नाटक का नायक दुखिया अपनी बेटी की सगाई के लिए शुभ मुहूर्त दिखलाने के लिए पंडित घासीराम के घर पर बुलाने के लिए जाता है। मगर वहां जाकर वह फंस जाता है। पंडित महाराज उससे कहते है की सांझ को तुम्हारे घर चलेंगे। उसके बाद दुखी को बहुत सारा काम सौंप दिया जाता है। खुद तो पंडित महाराज मालपुआ खाते हैं लेकिन दुखी को रोटी भी नसीब नही होता है। भूखा प्यासा दुखी, पंडित महाराज की बेगारी करने लगता है। अंततः दुखी गांठ पड़ी लकड़ी को फाड़ने में हलकान हो जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। दुखी की लाश को कोई लेने नही आता है। उसकी लाश से दुर्गंध आने लगती है। गांव वालों के डर से पंडित महाराज, पंडिताइन के साथ मिलकर रात्रि के अंधेरे में किसी तरह बिना छुए अछूत दुखी की लाश को रस्सी से बांधकर खेत बधार में फेंक आते हैं। घर आकर पंडित घासीराम गंगाजल छिड़ककर खुद तो पवित्र हो जाते हैं और उधर दुखी की लाश को गिद्ध कौआ और भेड़िया नोच नोच कर खा जाता है। इस तरह तरह पंडित महाराज के व्यवहार से मानवता शर्मसार हो जाती है। नाटक में पंडित बने कुमार मानव ने अपने अभिनय से दर्शकों को बांधे रखा। दुखी की भूमिका भुनेश्वर कुमार ने उम्दा अभिनय का परिचय दिया। दुखी की पत्नी झुरिया के पात्र को जीवंत किया विभा सिन्हा ने तथा पंडिताइन की भूमिका निभाई अर्चना कुमारी ने। ग्रामीण चिखुरी के पात्र में राजकिशोर तथा ग्रामीण महिला बुढ़िया का पात्र पायल कुमारी ने किया। प्रकाश परिकल्पना ब्रह्मानंद, मंच सज्जा बलराम कुमार, रूप सज्जा ममता कुमारी, वस्त्र विन्यास सुनीता कुमारी तथा संगीत संयोजन मानसी कुमारी एवं मयंक कुमार ने किया। कार्यक्रम में अन्य सहयोगी कलाकारों में कृष्णा तूफानी, रामचंद्र राम, धीरज कुमार, अशोक कुमार पांडेय, पवन कुमार, आदित्य राज, राधा कुमारी, प्रेम कुमार तथा नंद किशोर भी उपस्थित थे।अंत में धन्यवाद ज्ञापन सन्तजी ने किया।

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