सांवदात सुभम तिवाड़ी की रिर्पोट
पटनाः–राजधानी की राजनीति गलियारे,चौक चौराहे और चाय दुकान पर एक आम चर्चा छिड़ी हुई है की एनडीए में सब कुछ सामान्य नहीं है बड़े भाई से छोटा भाई बनने का की टीस से परेशान नीतीश कुमार जी जल्द हीं पाला बदलने वाले हैं और इसके लिए रास्ता बनाने का काम जदयू लगातार कर रहा है।
भाजपा के साथ सरकार चलाते हुए भी जदयू के दो बड़े नेता ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा भाजपा पर जिस तरह हमलावर रहे हैं और भाजपा नेताओं द्वारा भी नीतीश कुमार के शुशासन पर लगातार हमला किया जाता रहा है यह वर्तमान में एनडीए की स्थिति है।भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व फिलहाल नीतीश कुमार को छोड़कर एकला चलो की नीति पर चलने का जोखिम नहीं लेना चाहता है और भाजपा के नंबर दो नेता और गृहमंत्री अमित शाह ने अपने नेताओं को सोंच समझ कर बोलने का नसीहत दिये हैं।भाजपा नीतीश कुमार के साथ रहकर उन्हें कमजोर करना चाहता है जैसा विगत विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के सहयोग से किया था और वर्तमान में आरसीपी सिंह के माध्यम से।
नीतीश कुमार का भाजपा से मोहभंग का सबसे बड़ा कारण विधानसभा चुनाव हीं है नीतीश कुमार आज तक इस बात को भुले नहीं हैं लोजपा उनके विरुद्ध चुनाव लड़ रहा था लेकिन उसे लड़ाने वाला हाथ भाजपा हीं था और नीतीश कुमार समेत जदयू के बड़े नेताओं ने बहुत सारे अवसरों पर इस बात का चर्चा भी किया है।चर्चा ये भी है कि नीतीश कुमार एनडीए से बाहर निकल कर राजद के साथ सरकार बनाने को लेकर अपने नेताओं को लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से संपर्क स्थापित कर सरकार बनाने का खाका तैयार करने का टास्क दिया है।
ऐसा बहुत दिनों से देखा जा रहा है कि राजद अब मुखर रुप जदयू का और जदयू भी राजद का विरोध नहीं करता है और एक दूसरे पर बयानबाजी करने से बचते रहे हैं जबकि कुछ दिन पहले तक इन दोनों दलों के नेता और प्रवक्ता एक दूसरे का आलोचना करने का कोई भी अवसर गंवाते नहीं थे।अब यह देखना दिलचस्प होगा की लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद देने को राजी होते हैं या नहीं”
