उपेन्द्र कुशवाहा पर नीतीश नरम: बोले- कोई बात है तो मिलकर बताएं,

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नीतीश कुमार इस बार उपेन्द्र कुशवाहा को समझाने के मूड में हैं। उन्होंने कहा कि हमने उन्हें पार्टी में लाया, सम्मानजनक पद दिया, सम्मान दिया इसके बाद भी वह बाहर में बयान दे रहे हैं।

अगर उन्हें कोई परेशानी है तो आएं मुझसे बात करें, बैठें, उनकी समस्या का समाधान होगा।

मीडिया में बयान देने से कुछ नहीं होता है। नीतीश कुमार ने यह बयान गुरुवार को गांधी मैदान में झंडोत्तोलन के बाद पत्रकारों के सामने दी। ऐसे शुरू हुआ।

बयानबाजी का दौर दरअसल उपेन्द्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के बीच बयानबाजी का दौर उस समय से शुरू हो गया जब कुशवाहा दिल्ली से अपना मेडिकल रूटीन चेकअप कराकर पटना लौटे थे।

एअरपोर्ट पर पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने एक बयान दिया था कि पार्टी कमजोर हो रही है ।

कुशवाहा ने अपने इस बयान के पीछे यह तर्क दिया था कि जदयू के बड़े बड़े नेता बीजेपी के बड़े बड़े नेता के सम्पर्क में हैं जिसका जवाब देते हुए।

नीतीश कुमार ने कहा था कि कोई भाजपा के संपर्क में नहीं है। और अगर कोई है तो उसका नाम बताईये। नीतीश कुमार ने कुशवाहा पर ही भाजपा के सम्पर्क में होने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि जो खुद संपर्क में जाना चाहता है, वही इ सब बोलते रहता है। कौन कहां चला गया, जाने दीजिए। जिसको जब जाना हो, जितना जल्दी जाना हो, जितना बोलना है।

बोलते रहिए और जिस दिन मन करे, उस दिन चले जाइए। नीतीश कुमार के गुस्से को देख कर उपेन्द्र कुशवाहा फिर नरम पड़ गए और आननफानन में प्रेस कांफ्रेंस कर खुद को उनका (नीतीश कुमार) का सिपाही बताया लेकिन कुशवाहा का यह बयान उनके काम नहीं आया।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को उपेंद्र कुशवाहा को सीधे-सीधे बाहर का रास्ता दिखा दिया और साफ लब्जों में कहा कि “जिसको जब जाना हो, जितनी जल्दी जाना हो, जितना बोलना है।

बोलते रहिए और जिस दिन मन करे, उस दिन चले जाइए।” नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा की उठाई हर बातों का साफ-साफ जवाब भी दिया और राफ-साफ कर भी दिया।

यह बात पटना में एएन कॉलेज में पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा की मूति अनावरण कार्यक्रम में शरीक होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुशवाहा को लेकर मन की बात की थी।

पटना उच्च न्यायालय द्वारा अनुदान लेनेवाले मदरसों की जांच किये जाने के संबंध में दिए गये आदेश के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जब कोर्ट का कोई आर्डर होता है तो

सब चीजों को देखा जाता है। कोर्ट का आदेश है तो उसे देखा जाएगा। जितने मदरसों को मान्यता मिल गयी है,।

हमलोग सबकी मदद करते रहे हैं। जिनको पहले मान्यता मिली हुई थी और बाद में हमलोगों ने जिनको मान्यता दी है उनकी शुरू से सहायता कर रहे हैं।

अगर कोई कोर्ट गया है और कोर्ट का जो आर्डर है उसे देखा जाएगा।

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