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जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाह ने मंगलवार को एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लिया।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सीएम कहते हैं कि मुझे संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर उन्होंने बड़ी इज्जत दी है,।
लेकिन मैं मानता हूं कि मुझे झुनझुना पकड़ाया गया है।उपेंद्र कुशवाहा ने आरोप लगाया कि मुझे सिर्फ पद दिया गया।
कोई अधिकार नहीं मिला।पटना में अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कुशवाहा ने कहा कि संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर मुझसे पार्टी ने कभी कोई राय नहीं ली।
किसी चुनाव में उम्मीदवारी पर चर्चा तो बहुत दूर की बात है।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर पार्टी ने मुझसे कभी नहीं पूछा कि किसे उम्मीदवार बनाएं।
कई बार मैंने सामने से जाकर सुझाव दिया, लेकिन उसपर कभी ध्यान भी नहीं दिया गया।उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार को अति-पिछड़ा समाज के लोगों पर विश्वास नहीं है।
नीतीश कुमार कहते हैं कि मुझे संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दे दी, लेकिन पार्टी मुझसे कोई राय लेना भी जरूरी नहीं समझती, तो यह झुनझुना नहीं तो क्या है।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जब मैंने कहा कि पार्टी का हिस्सा लिए बिना मैं नहीं जाऊंगा, तो लोगों ने पूछा कि किस हिस्से की बात कर रहा हूं।
तो मैं बताना चाहूंगा कि नीतीश कुमार ने 1994 में लालू यादव से जो हिस्सा मांगा था,।
वही हिस्सा मुझे भी चाहिए।बता दें कि 90 के दशक में लालू यादव बिहार के सबसे बड़े नेता के तौर पर उभरे थे।
उनके विरोध में दूर-दूर तक कोई नेता नहीं था। 12 फरवरी, 1994 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में कुर्मी चेतना महारैली हुई थी।
पूर्व विधायक सतीश कुमार सिंह इसके आयोजक थे। इसमें सबसे प्रमुख थे नीतीश कुमार, जो रैली में शामिल नहीं होना चाहते थे,।
लेकिन बाद में उन्होंने इस रैली की अगुवाई की। नीतीश कुमार को इस बात का डर था।
कि इस रैली में शामिल होने के बाद उन पर एक खास जाति के नेता होने का ठप्पा न लग जाए।
हालंकि, नीतीश कुमार मंच पर पहुंचे और उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की सरकर के खिलाफ हुंकार भरा।
उन्होंने मंच से नारा दिया कि भीख नहीं अधिकार चाहिए। नीतीश कुमार का आरोप था कि लालू प्रसाद यादव समुदाय के अलावा अन्य पिछड़ी जातियों की उपेक्षा कर रहे हैं।
अफवाह यह भी उड़ी कि लालू यादव कुर्मी-कोईरी को ओबीसी से बाहर करने का प्लान बना रहे हैं।
इसी का जवाब नीतीश कुमार ने लालू को गांधी मैदान में दिया, जो बाद में दोनों के अलगाव का कारण बना। इसके एक दशक बाद नीतीश 2005 में नीतीश पूर्ण बहुमत के साथ बिहार के मुख्यमंत्री भी बने।उपेंद्र कुशवाहा ने भोजपुर में उनके काफिले पर हमले को लेकर कहा कि प्रारभंक जांच में स्थानीय अधिकारियों ने कहा है।
कि उपेंद्र कुशवाहा पर हमला ही नहीं हुआ है। हमले का वीडियो मीडिया को दिखाते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने डीजीपी और मुख्य सचिव से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।उल्लेखनीय है।
कि सोमवार को भोजपुर जिले में जगदीशपुर नयका टोला मोड़ जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के काफिले पर कुशवंशी सेना से जुड़े युवकों ने अचानक पथराव कर काला झंडा दिखाना शुरू कर दिया।
इसके बाद कुशवाहा समर्थकों ने युवकों की जमकर पिटाई की, जिससे वो बुरी तरह जख्मी हो गए। दो को सिर में चोटें आई है।