अक्षय तृतीया व्रत महात्म्य एवं फायदे,,क्यों करें अक्षय तृतीया जानें पंडित कमल किशोर त्रिपाठी से

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🔯 अक्षय तृतीया 🔯
22अप्रैल 2023 शनिवार
आदरणीय बन्धु ,बान्धवा और शुभचिन्तकों, बहुत से लोगों ने अक्षय तृतीया व्रत के विषय में अनेका नेक प्रश्नों की क्षीण लगा दी‌आज मैं ने इस पवित्र दिन के विषय में बताना उचित समय पर अच्छा समझा तो इस व्रत से जुड़े सभी जानकारीयों को मैं ने आज इस लेख में लिखे हैं जिस विषय पर आप सभी के अनेकानेक प्रकार के प्रश्न थे, तो आगज पढें और जाने, अक्षय तृतीया क्या है, कब और क्यों मनाते हैं।।

अक्षय तृतीया सही तिथि
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि तृतीया तिथि 22 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 4 मिनट से से 23 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 8 मिनट तक रहेगी। शनिवार रात 11 बजकर 24 मिनट तक कृतिका नक्षत्र और इसके बाद 23 अप्रैल को रात 12 बजकर 27 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा। वहीं, 23 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 37 मिनट पर सूर्योदय होगा और तृतीया तिथि सुबह 8 बजकर 8 मिनट तक ही रहेगी। ऐसे में उदया तिथि और रोहिणी का मान लेने वाले 23 अप्रैल यानी रविवार को अक्षय तृतीया का पूजन कर सकेंगे। वहीं, खरीदारी के लिए लोगों को 22 अप्रैल यानी शनिवार पूरे दिन शुभ योग का लाभ मिलेगा।


अक्षय तृतीया का यह बेहद ही शुभ और पावन पर्व वैशाख के महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

अक्षय तृतीया या जिसे बहुत सी जगहों पर अखा तीज भी कहते हैं यह बेहद ही शुभ और महत्वपूर्ण दिन होता है, इस बार अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023 शनिवार को मनाई जाएगी।

अक्षय शब्द का अर्थ होता है ‘जिसका कभी क्षय न हो या जिसका कभी नाश न हो’। ऐसे में मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि यदि व्यक्ति दान-पुण्य, स्नान, यज्ञ, जप आदि जैसे शुभ कर्म करे तो इससे मिलने वाले शुभ फल कभी क्षय नहीं होते।

इस दिन आप किसी तरह का जप- तप, दान अनुष्ठान इत्यादि का संकल्प लेकर शुरुआत कर सकते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन पर माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद सुख-समृद्धि और वैभव आजीवन बना रहता है। इस दिन माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु की पूजा-उपासना की जाती है।

इस पुजन के विधिवत् करने वाले व्यक्ति श्रद्धालु जन कभी गरीब या दरीद्र नहीं रहतेहैं। इस में ब्राह्मण को ज्यादा से ज्यादा दान और श्रद्धा से भोजन देने वाले ज्ञानी जनों को कभी भी कर्ज, या ऋण लेने नहीं पडते हैं, ईश्वर की कृपा से उनके रुके हुए कार्य भी‌ तेजी से चल पडते हैं।

🔹अक्षय तृतीया का मुहूर्त-:

  1. वैशाख मास में शुक्लपक्ष की तृतीया अगर दिन के पूर्वाह्न (प्रथमार्ध) में हो तो उस दिन यह त्यौहार मनाया जाता है।
  2. यदि तृतीया तिथि लगातार दो दिन पूर्वाह्न में रहे तो अगले दिन यह पर्व मनाया जाता है, हालाँकि कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि यह पर्व अगले दिन तभी मनाया जायेगा जब यह तिथि सूर्योदय से तीन मुहूर्त तक या इससे अधिक समय तक रहे।

🔹अक्षय तृतीया व्रत व पूजन विधि-:

  1. इस दिन व्रत करने वाले को चाहिए की वह सुबह स्नानादि से शुद्ध होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. अपने घर के मंदिर में प्रभु जी को गंगाजल से शुद्ध करके तुलसी, फूलों की माला या पुष्प अर्पित करें।
  3. फिर धूप-दीप, ज्योत जलाकर साफ स्वच्छ आसन पर बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम, गोपाल सहस्त्रनाम या गीता रामायण के पाठ करें, भगवान के नाम व मंत्रों का जप करें।
  4. इस दिन कि किसी पवित्र आचरण वाले ब्राह्मण को दान दक्षिणा देने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
  5. इस दिन गायों के लिए जरूर कुछ खाने को निकाले जैसे- हरा चारा, गुड इत्यादि खिलाए।
  6. अक्षय तृतीया के दिन से गर्मी के दिनों तक आप पानी वगैरह की व्यवस्था कर सकते हैं जैसे प्याऊ लगाना आदि।
  7. इस दिन पशु पक्षियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था का भी संकल्प ले सकते है।
  8. इस दिन व्रत रखें, दिन में एक बार फल फ्रूट व दूध इत्यादि का सेवन करें या एक समय भोजन ग्रहण करें।

नोट-: अगर पूर्ण व्रत रखना संभव न हो तो पीला मीठा हलवा, केला, पीले मीठे चावल बनाकर खा सकते हैं।

🔹अक्षय तृतीया कथा-:
पुराणों के अनुसार युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से अक्षय तृतीया का महत्व जानने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की थी। तब भगवान श्री कृष्ण ने उनको बताया कि यह परम पुण्यमयी तिथि है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम (यज्ञ), स्वाध्याय, पितृ-तर्पण, और दानादि करने वाला व्यक्ति अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।

प्राचीन काल में एक गरीब, सदाचारी तथा देवताओं में श्रद्धा रखने वाला वैश्य रहता था। वह गरीब होने के कारण बड़ा व्याकुल रहता था। उसे किसी ने इस व्रत को करने की सलाह दी। उसने इस पर्व के आने पर गंगा में स्नान कर विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की व दान दिया। यही वैश्य अगले जन्म में कुशावती का राजा बना। अक्षय तृतीया को पूजा व दान के प्रभाव से वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। यह सब अक्षय तृतीया का ही पुण्य प्रभाव था।

🔹अक्षय तृतीया महत्व-:

  1. अक्षय तृतीया का दिन साल के उन साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है जो सबसे शुभ माने जाते हैं। इस दिन अधिकांश शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
  2. इस दिन गंगा स्नान करने का भी बड़ा भारी माहात्म्य बताया गया है। जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है, वह निश्चय ही सारे पापों से मुक्त हो जाता है।
  3. इस दिन पितृ श्राद्ध करने का भी विधान है। इस दिन तक अपने पितरों के निमित्त दान दक्षिणा देंगे तो वह अक्षय रहेगी।
  4. इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर अपने पितरों के नाम से श्राद्ध व तर्पण करना बहुत शुभ होता है। ऐसा करने से पितृ दोष का निवारण होता है।

5.इसी तिथि को श्री परशुराम व हयग्रीव अवतार हुए थे।

6.त्रेतायुग का प्रांरभ भी इसी तिथि को हुआ था।

  1. इस दिन श्री बद्रीनाथ जी के पट खुलते हैं।
  2. इस दिन सोना खरीदने भी शुभ व लाभदायक माना जाता है।इस दिन लोहे, तांबे, और अष्टधातु के वस्तुओं का खरीद भी सुखद व शुभ माना जाता है।

नोट-: अक्षय तृतीया का दिन अपने आप में एक अबूझ मुहूर्त है अतः इस दिन आप सोना-चांदी,मकान- दुकान, वाहन, आदि खरीदना चाहते हैं या किसी नए कार्य की शुरुआत करना चाहते हैं तो यह दिन उत्तम है।।‌आशा है आप सभी अब इस परम पवित्र भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी नारायण के नाम से किये जा रहे इस पर्व को भलिभांती समझ गये होगें और इसे कर के आप सभी अत्यंत लाभान्वित भी होते रहेगें। जय श्री विष्णु, जय माता लक्ष्मी नारायण की जय जय हो।। आप सभी सदैव सुखी व प्रसन्न रहें।।

आप का परम शुभचिंतक-

पं कमल किशोर त्रिपाठी

पटना ,बिहार, निकट वार्ता यंत्र संख्या-7050333221.
🕉️

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