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जयनगर
दीपावली के जिले भर में विभिन्न जगहों पर फटाका बाजार सज धज कर गुलजार हो गया है। इस बार भी जिला प्रशासन के द्वारा जारी किया दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए अस्थाई फटाका बाजार लगाया गया है। वही, कई स्थानों पर स्थाई पटाखे की होलसेल और रिटेल की दुकानें के साथ गोदाम भी दीपावली की शोभा बढ़ाने में सजे धजे हुए है..!
लेकिन इन अस्थाई और स्थाई पटाखा दुकानों की आग से जान-माल की सुरक्षा सहित जिले की सीमा के भीतर चल रहे कुछ अवैध फटाका दुकानों को लेकर स्थानीय प्रशासन गंभीरता सवालों के दायरे में नज़र आ रही है।
वहीं, जिले के जयनगर शहर के स्थानीय बाजार और रिहायशी क्षेत्र पटाखों के बारूद के ढेर पर है कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
इस तरह की दूकाने कोई बड़ी घटना को दे रहा है निमंत्रण। वहीं, इस बाबत स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि,समाजसेवी सब मौन हैं।
शहर में फटाका बाजार घनी आबादी की दृष्टि से सेंसेटिव जोन हो सकता है। यहां पर सुरक्षा को लेकर प्रशासन की ओर से कोई इंतजामात नहीं है। मौके पर सुरक्षा के लिहाज से रेत तक गायब है। स्थानीय प्रशासन ने फटाका व्यापारियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। यहां दमकल वाहन भी नहीं खड़ा हो सकता है, ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर क्विक रिस्पांस हो सके।
इस बार जयनगर का अस्थाई फटाका बाजार कई जगहों पर लगाया गया है, जिसमें दर्जनों अस्थाई दुकानें लगी है। इन भरे बाजार में विभिन्न जगहों पर प्रशाशन ने दिशा-निर्देश तो जारी किये हैं, लेकिन सुविधा के नाम सब कुछ नील बटे सन्नाटा है..। यहां के अन्य स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि ओर से रेत की व्यवस्था भी नहीं की गई है, और पानी का टैंकर तक नदारत है।
वहीं, अस्थाई फटाका बाजार पर खर्चों का भार बढ़ गया है, जिसका असर फटाखों की लागत बढ़ने की वजह से आम उपभोक्ताओं पर भार पड़ रहा है।
वहीं, पटाखा गोदाम बनाने और दुकान खोलने को लेकर जिला प्रशासन की ओर से कड़े दिशा निर्देश हैं। पटाखा गोदाम को शहर से बाहर बनाना होता है। यहां तक की पटाखा दुकान के रिहायशी इलाके से अलग रखने के निर्देश होते है। लेकिन जमीनी स्तर पर व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों के रुख से लगता है कि क्या वे अपनी आंखें बंद कर किसी घटना का इंतजार करते हैं..।
जानकारी के मुताबिक किसी भी थोक या खुदरा पटाखा विक्रेताओं के पास स्टॉक या बिक्री का लाइसेंस नहीं है और दिर्देश को ताक पर रख कर पटाखों की बिक्री हो रही है, जिससे हादसे को निमंत्रण दिया जा रहा है, जिस कारण किसी भी प्रकार की हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
लेकिन प्रशासन सबक नहीं ले रहा। क्या जब हादसा होगा, तो प्रशासन और जनप्रतिनिधि कार्रवाई की बात कहेंगे, पक्ष विपक्ष की राजनीति शुरू होगी। लेकिन हादसा हो जाने पर जिम्मेदारी कौन लेगा..?
विदित हो कि पूर्व के वर्षों में मामले में जयनगर बाजार से लाखों रुपये का पटाखा जब्त किया गया था और कारवाई हुई थी। लेकिन इस वर्ष अभी तक कारवाई नहीं हो रही है, आखिर कारण क्या है ……..?
सूत्रों की माने तो
जयनगर बाजार और आसपास क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह बेखोफ धड़ल्ले से पटाखों की बिक्री खुलेआम हो रही है।
विक्रेताओं ने तो स्टॉक को लेकर गुप्त गोदाम भी बना रखा है।
ट्रांसपोर्ट और ट्रेन ट्रांसपोर्ट व निजी वाहनो से हो रहा आवागमन और तस्करी बिक्री प्रतिबंधित पटाखों की।
पटाखे फोड़ना,फुलझडियां जलाना दीपावली का एक हिस्सा है। दीपावली खुशियों का त्यौहार है। इस त्यौहार के रंग को संजोए रखने की जिम्मेदारी भी स्थानीय प्रशासन की भी होती है। इसके मद्देनज़र प्रशासन को चाक चौबंद होना था। प्रशाशन और व्यवस्था के जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारियां से कहीं ना कहीं बचते हुए नजर आ रहे हैं। औचक निरीक्षण वाले सिस्टम में सब कुछ राम भरोसे चल रहा है..।