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औरंगाबाद,
गौमाता के प्राणों की रक्षा हेतु सतत प्रयत्नशील परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज ने आज औरंगाबाद में आहूत गौमतदाता संकल्प सभा मे उमड़ी हजारों की गौभक्तों के भीड़ को उद्बोधित करते हुए कहा कि सतयुग में हुए महाराज नृग ने धरती की धूल के कण,आकाश मंडल के तारागण और बारिश के बूंद जितनी अगणित गायों का दान दिया था।

हमारे देश में किसी जमाने मे इतनी गाएं हुआ करती थीं। वाल्मीकीय रामायण के अनुसार त्रेतायुग में भगवान राम ने 10 हजार करोड गायों का दान किया था।
भागवत के अनुसार द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण प्रतिदिन 10084 गायों का दान करते थे।गौतमबुद्ध और महावीर ने भी लाखों गायों की सेवा की थी।बौध्द ग्रन्थ त्रिपिटक के अनुसार माता पिता के समान गाय कि सेवा करने के लिए कहा गया है।स्वतंत्रता के समय देश मे 30 करोड व्यक्ति और 70 करोड गौमाता कि संख्या थी।
आज 78 साल बाद हम 150करोड हो गए और 2013 के अभिलेख के अनुसार गाय लगभग 17 करोड शेष रह गई।इसी से सहज अंदाजा लगाया जा सकता कि गौमाता की संख्या कितनी तेजी से घट रही हैं।
अगर हम अब भी सचेत होकर उठ खड़े नही हुए तो शीघ्र ही धरती से गौमाता विलुप्त हो जाएंगी।और अगर गौमाता नही बची तो ये धरती भी नही बचेगी।

परमधर्माधीश श्रीशंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि हम दूध तो कई पशुओं का पीते हैं।लेकिन कभी उनको माता नही कहते हैं। ना दूध पिलाने कारण और ना ही उत्पन्न करने के कारण गाय हमारी माता है। बल्कि गाय ने सनातनधर्म को जन्म दिया इसलिए गाय सनातन धर्म की माता है।आजकल कई पन्थ अपने को धर्म कहते हैं,लेकिन बाकी सब धर्माभास है।धर्म तो केवल एक ही है वो है सत्य सनातन धर्म। बाकी कोई भी यदि अपने को धर्म कहता है तो वो धर्म के नाम पर अधर्म है।धर्म शब्द हमारी भाषा संस्कृत में ही निष्पन्न होता है।धारण करने का गुण होने के कारण इसका नाम धर्म है। जैसे जलाना आग का धर्म है,जलाना रूपी धर्म से हटते ही आग समाप्त हो जाता है, ठीक वैसे ही हमको धारण करने वाला ही धर्म है।धर्म की मूर्ति वृषभ के रूप में बनती है ।
वृषस्तु भगवान धर्मः वृषभ साक्षात धर्म स्वरूप है। इसलिए सनातनधर्म को अपनाते ही सनातनधर्म की माँ गाय हमारी माता हो जाती हैं। सत्य धर्म का नाता है,गाय हमारी माता है गाय हमारी माता क्यों हैं? क्योंकि हमने सनातन धर्म को अपने जीवन में अपनाया है।इसलिए जिसने भी सनातनधर्म को अपनाया है वही गाय को माता कहता है,मुस्लीम, ईसाई, बौध्द आदि गाय को माँ नही मानते हैं।
श्रीशंकराचार्य जी ने कहा कि बिहार की पहचान बछौर, पूर्णिया एवं गंगातीरी गाय आज पूरी तरह से समाप्ति की ओर अग्रसर है।गाय हमारी ढाल हैं गाय हमको विपत्ति से बचाती हैं।आज की अधर्मी राजनीति हमको हमारी माँ के आंचल से दूर करने का कुत्सित प्रयास कर रही है।हमारी माताओं के मन मे वात्सल्य के भाव का विकास गौमाता ने किया है।बछड़े के प्रति गौमाता के प्रेम को देखकर ही हमारी लौकिक माताओं में वात्सल्य का भाव विद्यमान रहता है। हम आपसे धर्मानुरोध कर रहे हैं कि आप अपने मतदान के माध्यम से सर्वदेवमयी गौमाता के प्राणों की रक्षा कीजिए।हम देश भर मे 3 लाख रामा गौधाम बनाएंगे।उसके प्रथम चरण में 4000 से अधिक विधान सभाओं में राम गौधाम का निर्माण करेंगे।अपना अपमान तो हम सह सकते हैं लेकिन अपने पूज्यों का अपमान हम कैसे सहें? जिस भी राजनैतिक दल या नेता को हमारा वोट चाहिए उसे गौरक्षा हेतु प्रण लेना ही पड़ेगा।हमारे वोट से हमारी ही गौमाता काटी जाएं ये अब नही हो सकता है।स्वाभिमानी सनातनी बिना बुलाए कहीं नही जाते हैं लेकिन अपने गौमाता के प्राणों की रक्षा हेतु अपनी गरिमा को त्यागकर हम आपके मध्य बिना बुलाए ही आए हैं।गौरक्षा हमारा धर्म है चाहे प्राण ही क्यों न त्यागना पड़े अब हम पीछे नही हटने वाले हैं। सुपात्र को दिया वोट पुण्य एवं कुपात्र को दिया वोट हमें पाप की ओर ले जाएगा।

उक्त जानकारी देते हुए श्रीशंकराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने बताया कि सभा के प्रारंभ में विनायक पाण्डेय ने वैदिक मंगलाचरण एवं अलौकिक दिवान ने पौराणिक मंगलाचरण का वाचन किया। जिसके अनन्तर राजकुमार सिंह ने परमाराध्य शंकराचार्य जी महाराज के चरणपादुका का पूजन कर उनकी आरती उतारी।पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज ने पांचवीं सदी में स्थापित पश्चिमाभिमुख सूर्य मन्दिर में दर्शन किया।यहां भगवान सूर्य की तीन प्रतिमा ब्रह्मा,विष्णु और महेश की प्रतिमूर्ति के रूप में पूजित होती है।
गौमतदाता संकल्प सभा में गौमतदाता संकल्प यात्रा के संयोजक स्वामी प्रत्यक्चैतन्यमुकुंदानंद गिरी , राष्ट्रीय सनातन पार्टी के स्वामी किरण देव, सहसंयोजक देवेंद्र पाण्डेय, बाबूलाल जंगीड, शिवाजी सिंह परमार तथा आयोजक राजकुमार सिंह जी ने भी अपना उद्बोधन दिया।
गौमतदाता संकल्प सभा मे उपस्थित गौभक्तों ने अपना दाहिना हाथ उठाकर गौमतदाता बनने का संकल्प लिया ।