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हिंदू संस्कार में अस्थियों के गंगा जी में विसर्जन के बगैर मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है “चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या” पर आज “पं.सुमित मिश्रा” (राष्ट्रीय अध्यक्ष – अखिल भारत ब्राह्मण महासभा रजि.) अपनी “माता जी की अस्थि कलश” लेकर …” घाट प्रयागराज “संगम तट” पर अपने परिवार एवं भाईयो के साथ विधि विधान से पूजन के उपरांत “अस्थियों का विसर्जन “संगम” में किया, इस मौके पर पं.सुमित मिश्रा (राष्ट्रीय अध्यक्ष-अखिल भारत ब्राह्मण महासभा रजि.) एवं प्रदेश अध्यक्ष- हिन्दू महासभा “युवा मोर्चा” उत्तर प्रदेश. ने कहा कि
हिंदू सनातन धर्म में इस बार “चैत्र अमावस्या” यानी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की “अमावस्या तिथि 1 अप्रैल 2022 दिन शुक्रवार” को पड़ी है हिंदू धर्म में “चैत्र अमावस्या” का “बहुत अधिक महत्व” होता है सनातन धर्म में चंद्रमा की कलाओं के आधार पर ही जहां कृष्ण व शुक्ल पक्ष चलता है वही चंद्र के चलते ही होने वाली पूर्णिमा और अमावस्या का भी खास महत्व होता है अमावस्या तिथि के दिन स्नान दान तथा अन्य धार्मिक कार्य किए जाते हैं हर अमावस्या की तरह चैत्र अमावस्या का विशेष महत्व माना गया है ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूर्वजों के पूजन एवं पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष एवं शांति मिलती है।
साथ मे मौजूद : श्री जे.के.मिश्रा-पिता (अध्यक्ष-टी.डी.आर.पी.डी.एस.एस.),श्री सर्वोत्तम मिश्रा- चाचा (बरि.भाजपा नेता), पं.अंशुवान मिश्रा – पुत्र (युवा नेता), एवं पं. प्रफुल्ल मिश्रा -पुत्र (युवा नेता), पं.के.बी.अवस्थी (राष्ट्रीय प्रभारी-अखिल भारत ब्राह्मण महासभा रजि.), डॉ.एस. एन.द्धिवेदी- बरि.अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट दिल्ली (राष्ट्रीय संगठन मंत्री -अखिल भारत ब्राह्मण महासभा रजि.) आदि लोग मौजूद रहे !!