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मधुबनी जिले में भारत-नेपाल सीमावर्ती प्रखंड क्षेत्र लदनियां के कुमरखत पूर्वी पंचायत के दोनवारी गांव स्थित मां दुर्गा मंदिर में कलश स्थापना के साथ ही शारदीय नवरात्रा का शुभारंभ हुआ है।
यहां 125 वर्ष पूर्व से मां दुर्गा की पूजा अर्चना होती आ रही है। मनवांछित फल दायिनी व स्वामिनी देवी के रूप में लोग इसकी पूजा करते हैं। कहा जाता है कि यहां सच्चे दिल से आने वाले कोई भी दुखी व्यक्ति वापस खाली हाथ नहीं जाता है। यही कारण है कि यहां प्रत्येक वर्ष भक्तों के द्वारा मूर्ति का निर्माण एवं पूजन किया जाता है। सामाज के लोगों के द्वारा नाच-गान, मेला एवं लडू चढ़ाया जाता है।
अगल-बगल के ग्रामीणों के द्वारा भी किलो से लेकर दस किलो तक लडू चढ़ाया जाता। लोगों के अनुसार वर्षों पूर्व पड़ोसी देश नेपाल के सिरहा जिले के औरही गांव निवासी वीर लाल सुवा ने मां दुर्गा से मन्नत मांगी और वे जेल से निकल कर दोनवारी गांव में दुर्गा पूजन कार्य की शुरुआत फूस के घर में की, जिसे आगे चलकर बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष रहे देवनारायण यादव के द्वारा भवन में परिवर्तित किया गया।
उक्त मंदिर परिसर में ही विषहारा मंदिर अवस्थित है, जहां विजया दशमी के दिन भव्य पूजा का प्रावधान है। लोगों के अनुसार सैकड़ों वर्षों से सर्पदंश के शिकार लोगों को तंत्रमंत्र के सहारे इलाज किए जाने की परम्परा है। यहां पहुंचने पर लोग मौत के मुंह से बच जाते हैं। लोगों ने बताया कि स्वयं दरभंगा महाराज भी उक्त मंदिर में पूजा अर्चना कर चुके हैं। उन्होंने चांदी की तलवार मां दुर्गा के चरणों में समर्पित की थी। पूजा समिति के अनुसार यहां मूर्ति निर्माण व पूजा करने वाले लोगों की लंबी सूची है।