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पटना/प्रसिद्ध यादव।
देशभक्ति की जजब्बा के लिए किसी को हुक़्म करने की जरूरत नहीं है!
दिल में देशभक्ति की जजब्बा हो,इसके लिए किसी को कोई फ़रमान जारी करने की जरूरत नहीं है। देशवासियों के लहू में यह स्वतः दौड़ते रहता है।
आजादी के पूर्व जब देश गुलाम था,तब देश पर मिटने वाले को किसी के फ़रमान की प्रतीक्षा नहीं करते थे।आजादी के बाद भी राष्ट्रीय पर्व पर जब तिरंगा फहराया जाता है तो बरबस पैरों से जूते चप्पल निकल जाते हैं और झंडे को सलामी देने के लिए हाथ मस्तक पर उठ जाता है, सावधान के मुद्रा में मुँह से राष्ट्र गान निकलने लगता है। लोग घरों में तिरंगा लगाते हैं, युवा तो गालों में तिरंगा के चिन्ह लगाकर घूमते हैं। देशभक्ति की जजब्बा ज़बरदस्ती दिल में नहीं घुसाया जा सकता है।
अब नया नया प्रचलन हो गया है मानो देशभक्ति लोगों में अब जगेगी। हर घर तिरंगा लगे ठीक है, हर घर,रोजी रोटी, रोजगार, खुशहाल हो जाये तो अतिउत्तम,लेकिन इसके लिए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना होना चाहिए।सचमुच, तिरंगा फहराने का नैतिकता उसी में है जो भ्रष्ट न हो,रिश्वतखोर,मुनाफाखोर,मिलावटखोर,बेईमान, हत्यारा न हो,जो जाति, धर्म,भाषा,क्षेत्र का नाम पर नफ़रत न फैलता हो,जिसकी कलम और कुर्सी न बिकती हो,जो समभाव रखता हो, जो अपने कर्तव्यों, दायित्वों को निर्वाह करता हो।
आजादी के अमृत महोत्सव में सब के हिस्से में आजादी का अमृत हो।