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- आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है मुख्य उद्देश्य
- मरीजों में स्वरोजगार की प्रवृत्ति होगी विकसित
मधुबनी
केंद्र सरकार ने 2025 तक भारत को टीबी(यक्ष्मा) मुक्त करने का निर्णय लिया है। सरकार इसके लिए प्रयासरत भी है। इसी के आलोक में टीबी मरीजों के लिए सरकार तथा अन्य संस्थाओं द्वारा कई पहल किए जा रहे हैं। सरकार यक्ष्मा मरीजों को उपचार व पौष्टिक आहार लेने के लिए निक्षय पोषण राशि भी उपलब्ध करवा रही है। कई संस्थाओं एवं आम लोगों के लिए सरकार निक्ष्य मित्र योजना का भी संचालन कर रही है, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति टीबी मरीजों को गोद लेकर पौष्टिक आहार व अन्य प्रकार से सहयोग कर सकता है। वहीं कुछ संस्थाएं यक्ष्मा मरीजों को स्वरोजगार भी उपलब्ध करा रही है।
इसी क्रम में मधुबनी जिले के राजनगर प्रखंड के एमडीआर टीबी मरीज रविंद्र कुमार को डेमियन फॉउण्डेशन इंडिया ट्रस्ट की ओर से जीविकोपार्जन के लिए 25000 रूपये मूल्य का दुकान व सामग्री दिया गया। पूर्व में भी जिले के पाँच डीआरटीबी मरीजों को डेमियन फॉउंडेशन द्वारा स्वरोजगार उपलब्ध कराया गया हैं।
2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना लक्ष्य :
सीडीओ डॉ. जी.एम. ठाकुर ने बताया कि भारत सरकार ने टीबी उन्मूलन के लिए 2025 का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए जमीनी स्तर(ग्रास रूट) पर कार्य करने की आवश्यकता है। लोगों को भी समेकित रूप से जागरूकता हेतु प्रयास करना होगा। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रखंड स्तर पर प्रत्येक समुदाय में कार्य कर रही है और ज्यादा से ज्यादा रोगियों की खोज और उपचार हमारा संकल्प है। टीबी पूर्ण रूप से ठीक होने वाली बीमारी है, बशर्ते रोगी नियमित रूप से दवा का सेवन करे। टीबी के रोगियों को नि:शुल्क दवा का वितरण सरकारी अस्पतालों के द्वारा किया जाता है। प्रत्येक प्रखंड में स्पुटम जांच की भी व्यवस्था की गई है।
टीबी (क्षयरोग) के लक्षण :
• लगातार 3 हफ्तों से खांसी आना और आगे भी जारी रहना
• खांसी के साथ खून आना
• छाती में दर्द और सांस फूलना
• वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना
• शाम को बुखार आना और ठंड लगना
• रात में पसीना आना।
इस मौके पर राजनगर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, लैब टेक्निशियन इस्माहतुल्लाह उर्फ गुलाब, डीएफआइटी टीबी कोऑर्डिनेटर प्रदीप कुमार,सुदर्शन कुमार राजा राम भारती सहित अन्य कर्मी उपस्थित थे।